वैज्ञानिकों का मत है कि मानवी काया व मस्तिष्क जिन सूक्ष्म रस-स्रावों से प्रभावित होती है, वे मनुष्य के आसपास के वातावरण में स्थित ऋण आयनों की मात्रा के अनुपात पर निर्भर करती है। जब भी धन आवेश इस आभा मण्डल में बढ़ता है, तामसी प्रवृत्तियां उभरने लगती है। तनाव जन्म लेता है व कई साइकोसोमेटिक बीमारियां जन्मती है। ऋण आयन प्रकृति के साहचर्य में रहने वालों के आभामण्डल में अधिक होते है। वे ही व्यक्ति की स्फूर्ति, चेतनशक्ति एवं सक्रियता बढ़ाते है।