स्वामी विवेकानन्द जब अमेरिका की सड़क से गुजर रहे थे तो उनकी विचित्र वेशभूषा को देखकर लोग उन्हें मूर्ख समझने और मजाक बनाने लगे। अपने पीछे आती हुई भीड़ के सम्मुख स्वामीजी रुके और उनने पीछे मूडकर कहा-सज्जनों! मेरी वेशभूषा को देखकर आश्चर्य मत करो। आपके देश में सभ्यता की कसौटी पोशाक है। पर मैं जिस देश से आया हूँ वहाँ कपड़ों से नहीं मनुष्य की पहचान उसके चरित्र से होती है।