Quotation

September 1973

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संग्रह का अन्त बिखराव है। अभ्युदय के अनन्तर अवसान आता है। संयोग की परिणति वियोग है। इस परिवर्तन चक्र पर घूमते हुए संसार में स्थिर तो एकमात्र “धर्म” ही है।


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