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July 1973

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खादते मोदते नित्यं शुनकःशूकरः खरः। तेषामेषा को विशेषों वृत्तिर्येषातु तादृशी॥

खाते और मौज करते तो कुत्ते, शूकर और गधे भी है यदि मनुष्य की भी यही वृत्ति रहे तो फिर मनुष्य और पशु में क्या अन्तर रहा?


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