Quotation

September 1971

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जो मनुष्य अपने को तुच्छ समझता है वह केवल अपना ही मूल्य नहीं घटाता किन्तु समस्त मनुष्य जाति को अप्रतिष्ठित करता है। मनुष्य जहाँ महापुरुषों को देखता है। वहीं उसे अपने बड़े होने का ज्ञान आ जाता है और जितना ही सच्चा इस महानता का दर्शन होता है उतना ही सरल उसका महान् होना निश्चित हो जाता है। -टैगोर


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