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February 1960

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धर्म अन्तः प्रकृति है, वही सारी वस्तुओं का ध्रुव सत्य है। धर्म ही वह चरम लक्ष्य है जो हमारे अंदर काम करता है। -रवीन्द्र

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वास्तविक धर्म यह है कि जिन बातों को मनुष्य अपने लिए अच्छा नहीं समझते, दूसरों के साथ भी ऐसी बातें हरगिज न करें। -महाभारत


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