जो जैसा विचार करता है वह वैसा ही बना जाता है। जैसा हम चाहेंगे हमें मिलेगा।
*****
बाइबिल में लिखा है, “माँगो और तुम्हें मिलेगा।” खटखटाओ और द्वार तुम्हारे लिए खुल जाएंगे। “तलाश करो, और तुम पा लोगे” हमारे अन्तर में एक ऐसी प्रज्ञा है जो समय और दूरी व व्यवधान लाँघकर सत्य का दर्शन कर लेती है।
*****
इस दृष्टि को मलिन नहीं होना चाहिए। वे बाह्य और मिथ्या रुपों का भेदन कर सच्चाई तक पहुँचती है। ऐक्स-रे की शक्ति से भी अधिक उसकी पारदर्शकता है। यही जीवन को सार्थक बनाती है।
*****
अपने भीतर की इस महानता के अतिरिक्त और कोई सार्वभौमिकता नहीं।
सत्यकाम विद्यालंका