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April 1960

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भलाई का मार्ग संसार में सबसे अधिक ऊबड़-खाबड़ तथा कठिनाइयों से पूर्ण है। इस मार्ग से चलने वालों की सफलता आश्चर्यजनक है, पर गिर पड़ना कोई आश्चर्यजनक नहीं। हजारों ठोकरें खाते-खाते हमें चरित्र को दृढ़ बनाना है।

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जीवन और मृत्यु, शुभ और अशुभ, ज्ञान और अज्ञान का यह मिश्रण ही माया अथवा जगत् प्रपंच कहलाता है। तुम इस जाल के भीतर अनन्त काल तक सुख ढूंढ़ते रहो-तुम्हें उसमें सुख के साथ बहुत दुःख तथा अशुभ भी मिलेगा। यह कहना कि मैं केवल शुभ ही लूँगा, अशुभ नहीं, निरा लड़कपन है- यह असम्भव है।

यदि दिल में लगन हो, तो एक महामूर्ख भी किसी काम को पूर्ण कर सकता है। पर बुद्धिमान मनुष्य वह है, जो प्रत्येक कार्य को अपनी रुचि के कार्य में परिणत कर सकता है। कोई भी काम छोटा नहीं।

-स्वामी विवेकानन्द


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