मोटापा कैसे घटाया जाय?

May 1951

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(श्री वैद्यराज गुरु शरण दत्त त्रिपाठी)

अभी तक तो ऐसा था कि किसी स्थूल और भारी भरकम शरीर को देखकर लोग हंसी उड़ाया करते थे और ऐसा मनुष्य एक मनोरंजन की चीज बन जाता था। लेकिन पिछले पच्चीस वर्षों से डाक्टरों की गम्भीर खोज से यह नतीजा निकला कि मोटापा भी एक किस्म की बीमारी है जिसका इलाज होना चाहिये वरना वह दूसरे और रोगों को भी उभार सकता है। पश्चिम के आधुनिक विज्ञान वेताओं ने इस पर सैकड़ों पुस्तकें प्रकाशित की और अनेक प्रकार की कसरतें निकाली जिससे मोटापे के रोगों में लाभ हो सके। शरीर में बढ़ती हुई इस फिजूल चर्बी को रोकने के लिए वहाँ नये से नये आविष्कार हो रहे हैं। कुछ तो ऐसे नियमित भोजन पर भी जोर दिया जा रहा है जिससे यह रोग बढ़ नहीं सके। जैसे जैसे मर्ज फैलता गया वैसे वैसे डाक्टरों की गम चिन्ता और खोज भी बढ़ती गई। मोटापे को अब हंसी मखौल का विषय नहीं समझा जा रहा है।

वह लोग जो मोटे हो जाते हैं पहले तो कुछ ध्यान नहीं देते किन्तु बाद में स्वयं उनको ही मोटापा अखरने लगता है और उसको कम करने के उपाय वे ढूंढ़ने लगते हैं। कुछ तरकीबें ऐसी जरूर हैं जो मोटापे में फायदा करती हैं किन्तु उनका समुचित प्रयोग न होने के कारण स्थायी लाभ नहीं होने पाता, देर काफी हो जाती है। किन्तु इसमें सन्देह नहीं कि यदि नियमित रूप से शास्त्रीय पद्धति पर अमल किया जाय तो लाभ होना निर्विवाद है।

जिन आदमियों में मोटापे के लक्षण दिखाई देने लगे उन्हें प्रारम्भ में ही उसकी ओर तवज्जह देना चाहिये। मर्ज बढ़ने पर आदमी बेकार सा हो जाता है। ऐसा कहा जाता है कि 40 वर्ष से ऊपर के स्त्री पुरुष ही अधिक मोटे दिखाई देते हैं। इसके अलावा डाक्टरों की राय में 45 वर्ष की अवस्था के बाद यदि कुछ खफीफ सा मोटापा हो जाय तो वह लाभदायक बतलाया जाता है। कहते हैं कि थोड़ी स्थूलता बढ़ जाने से स्पर्श जन्य रोगों से बचाव होता रहता है। इसके साथ-साथ यह भी कहा जाता है कि प्रौढ़ावस्था में शरीर का कुछ हल्कापन होना स्वास्थ्य के लिये लाभकारी होता है जिससे हृदय रक्त और गुर्दे की बीमारियाँ जल्द ही अपना असर न कर पायें।

अब विचारणीय यह है कि मोटापे को आखिर हम इतना गम्भीर विषय क्यों समझें। पहली बात तो यह है कि मोटे हो जाने से मनुष्य की आकृति बहुत कुछ गन्दी हो जाती है। इसके अलावा मोटापा ऐसा रोग है जिससे बहुत सी बीमारियां होने की सम्भावना रहती है। मोटापे से नसों और पुट्ठों पर ज्यादा जोर पड़ता है और शरीर के प्रधान पुट्ठे अपना कार्य करने में कमजोर पड़ जाते हैं। मोटापे की वजह से इन्द्रियों की हरकत शिथिल हो जाती है और पेट की नसों पर इसका बुरा असर पड़ता है जिसके फलस्वरूप कब्ज और बदहजमी हो जाती है तथा बवासीर होने की भी सम्भावना रहती है। प्रकृत बल भी घट जाता है। इन सब बातों में कब्ज एक ऐसा मर्ज है जो अमूमन मोटे आदमियों को हो जाता है।

जो भयंकर बीमारी मोटापे की वजह से हो जाती है वह है प्रमेह और मधुमेह। यह बीमारी मोटे आदमियों में प्रायः होती है। दिल और रक्त पर भी काफी असर पहुँचता है जिसके परिणाम स्वरूप खून का दबाव बढ़ जाता है। गुर्दे में भी तकलीफ हो जाती है ‘मृगी’ होने का भी अन्देशा रहता हैं इसमें सन्देह नहीं कि मोटे आदमियों का दिल ज्यादा मजबूत नहीं रहने पाता। डाक्टरों की राय से मोटे आदमियों के दिल में काफी कमजोरी आ जाती है और इसके अलावा मोटापे का रोगी चीर फाड़ के काम के लिये तो एक खतरा होता है। आपरेशन के काम के लिये जितना दुबला पतला आदमी मौजूद होता है, मोटा आदमी उतना ही अनुपयुक्त।

अधिक स्थूलता से मस्तिष्क के कई तारों तथा जोड़ों ओर हड्डियों में वाज मर्तवा उल्टा असर पड़ता है। शरीर पर अधिक चर्बी होने से मानसिक परिवर्तन भी हो जाता है और मनुष्य की प्रतिभा कुछ क्षीण पड़ जाती है। मोटे आदमी सहनशील और सीधे होते हैं किंतु यह बात उनकी बढ़ती हुई मानसिक सुस्ती और बेकारी को छुपाने के लिये आड़ मात्र है। जैसे-जैसे मोटापा बढ़ने लगती है। प्रकृत स्वास्थ्य के लिये तो मोटापा घातक है।

स्वास्थ्य के लिये मनुष्य को तीन बातों की आवश्यकता होती है-भोजन, व्यायाम तथा आराम। मनुष्य चाहे जितना बलवान अथवा मोटा क्यों न हो पर उसे उपयुक्त आवश्यकताओं का अनुभव अवश्य होगा। नीचे शरीर की चर्बी बढ़ने के कुछ कारण बताये जाते हैं-

(1) अपने शरीर की रक्षा के लिये हम नित्य भोजन करते हैं जिसका कुछ भाग हमारी खोई हुई शक्ति को पूरा करता है, कुछ हमारा शरीर बढ़ाता है और शेष मल के रूप में बाहर निकल जाता है। बहुधा हमारा न पचा हुआ भोजन चर्बी के रूप में हमारे शरीर में एकत्र हो जाता है इस प्रकार धीरे-धीरे चर्बी बढ़ने लगती है और शरीर मोटा होने लगता है क्योंकि चर्बी को बाहर निकालने का कोई मार्ग नहीं।

(2) मदिरा पान से भी चर्बी बढ़ती है।

(3) जो मनुष्य अधिक भोजन करता है, शराब पीता है और व्यायाम नहीं करता वह अवश्य मोटा हो जाता है।

(4) बहुधा देखा जाता है कि शरीर की मुटाई पैतृक भी होती है। मोटे बाप का बेटा मोटा होता है। परन्तु यदि ऐसे लोग तनिक ध्यान दें तथा नियमपूर्वक प्रतिदिन व्यायाम करें तो उनके शरीर की चर्बी पिघल कर बाहर निकल सकती है।

शरीर की चर्बी को कम करने के लिये निम्नलिखित साधनों का प्रयोग किया जा सकता है-

दूध, घी और मक्खन का प्रयोग कम करें। चावल तथा चीनी कम खाओ। प्रातःकाल चावल और संध्या समय चंदोसी गेहूँ की रोटी खानी चाहिये। कुछ लोगों की धारणा है कि अधिक भोजन के कारण उत्पन्न हुई चर्बी को व्रत द्वारा कम करना चाहिये। परन्तु यह नितान्त भ्रम मूलक है। चर्बी को कम करने के लिए हमें अपने भोजन से चर्बी बढ़ाने वाले पदार्थों को ही कम करना चाहिये और आवश्यकता से कम भोजन करने की आदत छोड़नी चाहिए। कभी कभी बहुत व्रत रखने अथवा चर्बी कम करने के लिए अधिक व्यायाम करने से हृदय को बहुत हानि होने की सम्भावना होती है।

चर्बी को कम करने के लिए व्यायाम बहुत आवश्यक है। अतएव ऐसे व्यायाम अधिक करने चाहिये। जिनसे शरीर के उन अंगों के अवयवों को काम करना पड़े जहाँ चर्बी एकत्र होती है। विशेष कर चर्बी कमर में एकत्र होती है। अतः सत्संबंधी कुछ व्यायाम यहाँ दिये जाते हैं।

(1) पृथ्वी पर चित्त लेट जाओ। अपने दाहिने पैर को शरीर से 90 का कोण बनाता हुआ ऊपर उठाओ, फिर उसे पृथ्वी पर रख दो। इसी प्रकार बायें पैर से करो। पैर उठाते समय साँस लो और पैर गिराते समय साँस बाहर निकालो। यह व्यायाम हर पैर से कम से कम 20 बार करो।

(2) पहले की भाँति चित्त लेट जाओ। एक पैर के स्थान पर दोनों एक साथ पहले की ही भाँति ऊपर उठाओ फिर धीरे-धीरे नीचे गिराओ। साँस पहले व्यायाम की भाँति लो। यह व्यायाम भी 20 बार करो।

(3) नं 2 की भाँति लेट कर पैर सीधा ऊपर उठाओ। फिर शीघ्रता से एक-एक पैर सिकोड़ो और सीधा करो। जब दाहिना पैर सीधा करो तब बायाँ सिकोड़ लो।

(4) एक फुट की दूरी देकर दोनों पैरों के बल सीधे खड़े हो जाओ। साँस भीतर खींचो और बिना पैर झुकाये शरीर को कमर से झुकाओ। हाथों को दोनों पैरों के बीच में जाने दो। साँस बाहर निकालो और फिर पहली स्थिति में खड़े हो जाओ। यह क्रिया 10-15 बार करनी चाहिये।

(5) दोनों पैरों के बीच में एक फुट की जगह देकर सीधे खड़े हो जाओ। दोनों हाथ ऊपर उठाओ जिससे हथेलियाँ आपस में मिल जायं। साँस भीतर खींच कर झुको और पृथ्वी को अपने हाथों से छुओ। फिर पहली स्थिति में खड़े हो जाओ। साँस बाहर निकाल दो।

(6) अपने दोनों हाथ कमर पर रख कर खड़े हो शरीर को आगे की ओर झुकाओ। अब अपने शरीर को दाहिनी ओर से बाँई ओर की ओर घुमाओ। इन व्यायामों के अतिरिक्त दौड़ना भी चर्बी कम करने में सहायक होता है।


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