जब तक तुम स्वयं अपने अज्ञान को दूर करने के लिए कटिबद्ध नहीं होते, तब तक कोई तुम्हारा उद्धार नहीं कर सकता। -स्वामी रामतीर्थ
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जो मनुष्य अपनी भूलों और कमजोरियों को प्रकाश में लाने से डरता है वह सत्य का पुजारी कदापि नहीं बन सकता। -जेम्स ऐलेन
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जो व्यक्तित्व को देखना छोड़ चुके हैं वे ही अनन्ता को जान सकते हैं। उन्हें सारा संसार एक परिवार की तरह दिखाई पड़ता है। -स्वामी रामतीर्थ
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निर्मल अन्तःकरण को जिस समय जो मालूम हो वही सत्य है। उस पर दृढ़ रहने से शुद्ध सत्य की प्राप्ति होती है। -महात्मा गाँधी