स्वाभिमानी और पवित्र हृदयी पुरुष निर्धन होने पर भी श्रेष्ठ गिना जाता है। दूसरों को प्रसन्न करने के लिये मीठी-मीठी बातें बनाने वाले खुशामदी लोग बहुत हैं पर कल्याणकारी कड़वे वचन कहने और सुनने वाले मनुष्य कठिनता से मिलते हैं।
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हे सौंदर्य तू अपने को प्रेम के अन्दर ढूँढ़ अपने दर्पण की मिथ्या प्रशंसा में नहीं।