हिन्दू उसे कहते हैं जो भारत वर्ष को अपनी मातृभूमि, पितृभूमि और धर्म भूमि मानता है।
(1) मातृ भूमि अर्थात् जन्म भूमि। जो अपनी जन्म दाता-माता-भारत भूमि को मानता हो।
(2) पितृभूमि-अर्थात् पूर्वजों की भूमि। जो भारतवर्ष को अपने प्रयत्नों की भूमि मानता हो
(3) धर्मभूमि-अर्थात् अपने धर्म की उत्पत्ति भूमि तीर्थ भूमि मानता हो वह हिन्दू है।
जिस व्यक्ति की उपरोक्त तीन मान्यताएं हैं वह भारत माता का सच्चा पुत्र कहलाने का अधिकारी है। उसे हिन्दू कहा जा सकता है। इस दृष्टि से भारत वर्ष के सनातन धर्मी, आर्य समाजी जैन, बौद्ध, सिख, शैव, शाक्त, वैष्णव, कबीर पंथी, दादूपंथी तथा अन्यान्य मत मतान्तरों को मानने वाले सभी हिन्दू हैं। चोटी इस हिन्दुत्व का प्रतीक है। गौ माता का सम्मान हर हिन्दू के हृदय में होता है।
हिन्दुओं में विचार स्वातंत्र्य की प्रतिष्ठा है अनेकों मत, सिद्धान्त, विश्वास उनमें प्रचलित हैं। पर उनका दर्शन और संस्कृति एक है देवभाषा और भावनाओं का पथ-प्रदर्शन होता है एक एकता के केन्द्र पर वे सभी केन्द्रित होते हैं
हिन्दुओं का संसार को एक विशेष संदेश है वह है भौतिक वाद की तुच्छता अनुभव करते हुए आत्मिक गुणों की प्रतिष्ठा करना इस संदेश में ही विश्व शान्ति का स्थायित्व छिपा हुआ है। आज संसार को उसी संदेश की तलाश है।
आज संसार पूछता है कि हिन्दुस्तान तो मौजूद है पर हिन्दू कौन है? भारत माता को अपनी मातृभूमि, पितृभूमि और धर्म भूमि समझने वाले हिन्दुओं अपनी अमृतमयी संस्कृति से अशान्त विश्व को शान्त करो और अपने आदर्शों को चरितार्थ करके बताओ कि हिन्दू कैसा है? हिन्दू कौन है?