जो मौन रहता है वह मुनि नहीं। मुनि वह है जो सत्य का मनन करता है और सत्य पर आरुढ़ रहता है।
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जो परमार्थी न होते हुए भी भिक्षा का अन्न खाते हैं वे पारा खाते हैं। जो एक दिन देह फोड़ कर फूट निकलता है।