बोध-वाणी

August 1947

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(गोस्वामी श्री बिन्दुजी)

1 - प्रातःकाल उठकर इन चार बातों का स्मरण करो-

(1) हम उस इष्ट देव की शरण हैं, जो सृष्टि मात्र के समस्त सम्प्रदायों का एकमात्र आधार है।

(उस इष्ट-देव का नाम है ‘प्रेम’)

(2) हम उस गुरु की वन्दना करते हैं, जिसका किसी भी प्राणी से विरोध नहीं है।

(उस गुरुदेव का नाम है ज्ञान)

(3) हम उस पिता को धन्यवाद देते हैं, जिसने इस शरीर को कर्त्तव्य वेदी पर बलिदान हो जाने की शिक्षा दी है।

(उस पिता का नाम है ‘धर्म’)

(4) हम उस माता के सदैव ऋणी हैं, जिसकी गोद में हमें कोई भी साँसारिक क्लेश, पीड़ा नहीं दे सकते।

(उस माता का नाम है ‘शान्ति’)

2 - रात्रि को सोते समय इन चार बातों का स्मरण करो -

(1) हम उस रात्रि में हैं, कि जिसने समस्त चराचर पर अपना मोहन मन्त्र डाल रखा है।

(उस रात्रि का नाम है ‘प्रकृति’)

(2) हम उस निद्रा का आह्वान कर रहे हैं, कि जो जागृत अवस्था में भी, हमको हमारा पता नहीं देती।

(इस निद्रा का नाम है ‘समाधि’)

(3) हम वह स्वप्न देखना चाहते हैं, कि जिस में यह जगत भी स्वप्न ही नजर आता है।

(उस स्वप्न का नाम है ‘अनुभव’)

(4) हमें उस आलस्य की प्रतीक्षा है, कि जिसे प्राप्त करके मनुष्य किसी से बोलना भी नहीं चाहता।

(उसका नाम है ‘सन्तोष’)


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