हृदय में दया रखना, स्वभाव को नम्र रखना और दान में प्रवृत्ति रखना, इन तीन बातों से मनुष्य सद्गति को प्राप्त करता है।
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चिन्ता के समान कोई आग नहीं, द्वेष के समान कोई विष नहीं, क्रोध के समान कोई शूल नहीं, लोभ के समान कोई जाल नहीं।
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बहुत गाल बजाने वाला और बड़ा आडम्बर बनाने वाला पंडित नहीं होता। पंडित वह है जो अपने ज्ञान और व्यवहार को एक रखता है।
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जो कम पढ़ा है या नहीं पढ़ा है वह मूर्ख नहीं। मूर्ख वह है जो अपने को और दूसरों को ठगने का प्रयत्न करता है।