डॉक्टर श्री दुर्गाशंकर जी नागर सम्पादक ‘कल्पवृक्ष’)
मनुष्य को अन्तर में शान्त तथा क्षोभ रहित होना चाहिए अर्थात् शरीर को सदा काम में लगाते रहना चाहिये। चिन्ता, भय, द्वेष इत्यादि विकार मनुष्य के जीवन बल का नाश करते हैं।
ये स्वार्थ पूर्ण प्रवृत्तियां ही मनुष्य के विकास में बाधा डालती हैं। अपने जीवन का सिंहावलोकन करो और तुमको मालूम होगा कि किस प्रकार तुमने अपनी शक्तियों का अपव्यय किया है।
जो मनुष्य अपने मन और बुद्धि को उत्कृष्ट भावना में लीन रखता है, वह उच्च वस्तु से प्रेम करता है और अपने जीवन को भव्य, विशाल और दिव्य बनाता है और अपने में असाधारण परिवर्तन करने में समर्थ होता है। भावात्मक विचार तत्काल मन में परिवर्तन कर देते हैं। हमारे मानसिक गुणों को शारीरिक स्थिति को, आदत को बदल देने का सामर्थ्य हमारे भावों में है।
अपनी प्रबल इच्छा शक्ति से निकृष्ट भावुकता को एक दम दमन करो, मनोवेगों के नियामक बनो, अपने स्वभाव को वश में रखो, आत्मनिग्रह का अभ्यास डालो। निकृष्ट भावुकता ही हमारी सब से अधिक अनिष्ट करने वाली है। मनोवेगों के वशीभूत होकर मनुष्य तिनके के समान अग्नि में अपने को भस्मीभूत कर देता है।
नया विचार नया जीवन होता है, इसलिए यदि तुम जीवन को उत्कृष्ट बनाना चाहते हो तो अपने अन्तर में परिवर्तन करो, अर्थात् अपने मन का नवीकरण करो। अपने विचार और भावों को निकृष्ट प्रदेश से ऊँचे उठाओ और आत्मा के उच्च प्रदेश में स्थापित करो।
ज्ञान का अनन्त समुद्र, ऐश्वर्य का महाननिधि, आनन्द और शान्ति का परम निधान एकमात्र परमात्मा ही है। उसी का मनन और अखण्ड चिन्तन करो जिससे तुम्हारी स्थिति और आत्मा में विलक्षण परिवर्तन होगा। उस सर्वव्यापक महाप्रभु को जानो जो सब शुभ कामना को पूर्ण कर देता है।
ईश्वर की अनुभूति का दैवी उपाय-यही है कि सूर्योदय से पहले उठकर अपने बिस्तर पर बैठ जाओ और कम से कम दस मिनट उस महाप्रभु से प्रार्थना करो ‘हे पिता! मेरा जीवन व्यर्थ और निरर्थक ही साँसारिक भोगों में बीता जा रहा है और अनेक प्रकार के क्लेश, चिन्ता, भय मुझे घेरे रहते हैं। मैं आपके शरण आया हूँ। आप दया करके मेरे चित्त की मलीनता मिटाइये, मेरी वृत्तियों को अपने चरणों में लगाइये, जिससे मेरा जीवन सफल हों।”
इस प्रकार प्रार्थना करने के पश्चात् अपने नित्य कर्म में लगो। ऐसी प्रार्थना एक महीने तक लगातार करते रहने से तुम्हारे जीवन में विलक्षण परिवर्तन होगा। यही उत्कृष्ट जीवन का मार्ग है।