जब बाढ़ आती है तो वह तालाब, पोखर आदि को भर कर सबको समुद्र का सा रूप दे देती है। उस समय कही तालाब, पोखर का चिह्न भी नहीं जान पड़ता सर्वत्र जलमयी हो जाता है। पर वर्षा का जल सामान्य नालों के द्वारा ही बह जाता है। इसी प्रकार जब किसी महापुरुष का आविर्भाव होता है तो उनकी कृपा से अनेक भव सागर के पार हो जाती है। साधना द्वारा सिद्धि प्राप्त कर के एक व्यक्ति बड़ी कठिनाई से अपना ही उद्धार करने में समर्थ होता है, पर दूसरों का उद्धार करने की सामर्थ्य महापुरुषों में ही होती है। नदी या समुद्र में तैरते हुये लकड़ी के बड़े लट्ठे का आश्रय लेकर कितने ही मनुष्य किनारे लग जाते है, पर जल में बहने वाली छोटी डाली पर एक कौआ भी बैठ जाय तो डूब जाता है। इसी प्रकार अवतार या महापुरुषों का आश्रय लेकर कितने ही मनुष्य संसार सागर के पार पहुँच जाते है, पर भजन साधन करने वाले स्वयं ही बड़ा उद्योग करके मुक्ति तक पहुँचते है।
-रामकृष्ण परमहंस