जहाँ शक्ति का भण्डार न्यून पड़ जाता है वह सस्ती साधुता अकस्मात् आ जाती है। इसके विपरीत जिस मनुष्य में शक्ति पूर्ण भंडार है उसे ललकार स्वीकार करने में प्रसन्नता होती है वह शक्ति युक्त जीवन व्यतीत करता है।
--रवीन्द्रनाथ ठाकुर
अगर तुम्हारा हृदय पवित्र है तो तुम्हारा आचरण भी सुन्दर होगा, अगर तुम्हारा आचरण सुन्दर है तो तुम्हारे परिवार में शान्ति रहेगी ओर परिवार की शान्ति से समस्त राष्ट्र और विश्व में शान्ति का साम्राज्य स्थापित हो सकेगा।
--कन्फ्युशश