गायत्री महाविद्या के अमूल्य ग्रन्थ रत्न

September 1951

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1. गायत्री महाविज्ञान (प्रथम भाग) गायत्री विद्या की वैज्ञानिक एवं तात्विक जानकारी, गायत्री और यज्ञोपवीत का संबंध, साधना के आवश्यक नियम, गायत्री महामन्त्र की सिद्धि, गायत्री संध्या, गायत्री हवन, नवदुर्गाओं की गायत्री साधना, गायत्री से पापों का प्रायश्चित, गायत्री साधकों के अनुभव, गायत्री द्वारा स्वर्ग एवं मुक्ति की प्राप्ति, गायत्री का अधिकार, शाप मोचन उत्कीलन, नित्य उपासना, ध्यान, गायत्री प्राणायाम, अनुष्ठान, पुरश्चरण, ऋद्धि सिद्धियों का मार्ग, अनेक कठिन प्रयोजनों में गायत्री के अनेक प्रयोगों का विस्तृत वर्णन

2. गायत्री महाविज्ञान (द्वितीय भाग) गायत्री महात्म्य, गायत्री गीता, गायत्री स्मृति, गायत्री उपनिषद्, गायत्री रामायण, गायत्री पंजर, गायत्री संहिता गायत्री तन्त्र, गायत्री अभिचार, चौबीस गायत्री, गायत्री पुरश्चरण, गायत्री कवच, गायत्री स्तोत्र, गायत्री तर्पण, गायत्री लहरी गायत्री चालीसा, गायत्री सहस्रनाम आदि का भाषा टीका समेत संकलन है।

3. गायत्री महाविज्ञान (तृतीय भाग) इसमें गायत्री द्वारा योग साधना की अत्यन्त ही गुप्त, रहस्य पूर्ण, चमत्कारी साधनाओं की सविस्तार शिक्षा दी गई है। इसे पढ़कर योग विद्या की पूरी जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

4. गायत्री के प्रत्यक्ष चमत्कार- गायत्री की कृपा से अनेक प्रकार की आध्यात्मिक सिद्धियाँ प्राप्त करने वाले तथा सुख सफलता प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के निजी अनुभव इस पुस्तक में हैं। इस मार्ग का अनुकरण करके आशाजनक लाभ उठाया जा सकता है।

5. गायत्री का मंत्रार्थ- गायत्री के एक-एक अक्षर की शास्त्रीय विस्तृत व्याख्या है, राक्षस राज रावण, सायन, उब्वट, महीधर, व्यास, वशिष्ठ, शंख, भारद्वाज, याज्ञवल्क, आदि के द्वारा किये हुए गायत्री के अनेकों अर्थ दिये हैं। पहले यह पुस्तक ‘गायत्री रहस्य’ नाम से छपी थी।

6. गायत्री ही कामधेनु है- ऋषियों, शास्त्रकारों महापुरुषों, अनेक स्त्रियों तथा पुरुषों के गायत्री सम्बन्धी अनुभव।

7. गायत्री का वैज्ञानिक आधार- अनेक तर्क प्रमाण, उदाहरण एवं विज्ञान सम्मत आधार उपस्थित करके गायत्री का गुप्त विज्ञान तथा मर्म समझाया गया है।

8. गायत्री की सर्व सुलभ साधनाएं- सर्व साधारण के लिए उपयोगी गायत्री साधनाओं की अनेक विधियाँ।

9. वेद शास्त्रों का निचोड़-गायत्री- नित्य पाठ करने के लिए गायत्री गीता, गायत्री स्मृति, गायत्री अष्टक एवं गायत्री चालीसा का संग्रह।

10. गायत्री के चौदह रत्न (प्रथम भाग)- गायत्री के ॐ, भूर्भुवः, स्वः, तत्सवितुर्वरेण्यं, भर्गो शब्दों की शिक्षात्मक व्याख्या।

12. अनादि गुरुमंत्र गायत्री - गायत्री साधक के लिये गुरु की आवश्यकता का प्रतिपादन।

13. विपत्ति निवारिणी गायत्री- सम्पूर्ण विपत्तियों और कष्टों को नष्ट करने वाला तत्वज्ञान।

14. स्त्रियों को गायत्री का अधिकार- इस पुस्तक में वेद शास्त्रों के सैकड़ों प्रमाणों से यह सिद्ध किया है कि स्त्रियों को भी पुरुषों के समान ही गायत्री का अधिकार है।

15. सर्वशक्तिमान गायत्री- यह अत्यन्त सस्ती पुस्तक ब्रह्मदान के रूप में अधिकाधिक संख्या में वितरण करने योग्य है।

पता - “अखण्ड-ज्योति” प्रेस, मथुरा।

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्

भाग 2 सम्पादक - श्रीराम शर्मा आचार्य अंक 8


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