कैरियर का अर्थ
१. स्थूल सन्दर्भ में साधन- सामग्री को इच्छित स्थान तक पहुँचाने, ढोने वाले साधन को कैरियर कहते हैं। यह कैरियर ढोंई जाने वाली वस्तु, सामग्री के स्वरूप और उसकी मात्रा के अनुरूप बनाना होता है। २. जीवन अथवा जीवन वृत्ति को भी कैरियर कहा जाता है। इस परिभाषा के अनुसार उसे जीवन लक्ष्य जीवनोद्देश्य, जीवन के आदर्शों के अनुरूप बनाया जाता है।
लाइफ कैरियर (जीवन निर्वहन) के सन्दर्भ में भी यही सूत्र लागू होते हैं। शानदार या बड़ा कैरियर बनायें, लेकिन उसमें ढोना क्या है? अथवा जीवन का उद्देश्य क्या है? यह समझे बिना ही कैरियर की अनगढ़ दौड़ में युवा शक्ति दौड़ी जा रही है।
एक सामान्य उद्देश्य तो सभी के सामने होता है, अपने तथा अपने आश्रितों के निर्वाह की व्यवस्था। उनके लिए सुख, सुविधाएँ जुटाना। जो मात्र इतने की व्यवस्था बनाता है, वह सामान्य कैरियर वाला ही कहा जायेगा।
कुछ श्रेष्ठ व्यक्ति अपने तथा अपने आश्रितों के जीवन निर्वाह के साथ- साथ कुछ श्रेष्ठ आदर्शों, समाज, राष्ट्र एवं मनुष्यता के हित साधने के निर्वाह की भी जिम्मेदारी अनुभव करते तथा उन्हें निभाते भी हैं। जो लोग ऐसा कुछ कर पाते हैं, उनके कैरियर को ही शानदार कहा जा सकता है। आज की समस्या यही है कि अधिकांश युवाओं के सामने अपने- अपने परिवार की सुख सुविधाओं के निर्वाह के अलावा और कोई लक्ष्य नहीं दिखता। ऐसे सीमित स्वार्थों तक सीमित व्यक्तियों के कैरियर को विशिष्ट कैसे कहा जा सकता है? जीवन की विवेक सम्मत परिभाषाओं को भुलाकर, थोड़े समय में अधिक से अधिक धन कमाने की हविश से तो स्वार्थपरता, हृदयहीनता, फैशन, व्यसन ही बढ़ने वाले हैं। उनसे मनुष्योचित जीवन मूल्यों (ह्यूमन राइट्स) का निर्वाह कैसे हो सकता है? साधन सीमित हैं, मनुष्यता या मानवाधिकारों के नाते उनका न्याययुक्त वितरण ही होना चाहिए। यदि प्रबुद्ध लोग उन्हें अपने लिए समेट लेने में ही शान समझेंगे, तो उन्हें शानदार मनुष्य तो क्या, मनुष्य भी कहना न्याय संगत नहीं होगा।
यदि अच्छा कैरियर बनाना है, तो जीवन में मानवीय मूल्यों, संवेदनाओं, आदर्शों को स्थान देना ही होगा। फिर सादा जीवन- उच्च विचार के सूत्र को ही जीवन में अपनाने एवं तद्नुसार जीवन जीने की साधना करनी ही होगी।
उच्च दक्षता आज जीवन निर्वाह जैसे सामान्य परिणाम के लिए भारी मात्रा में साधन- सुविधाओं की कामना एवं खपत करने की क्षमता को शानदार माना जाता है। लेकिन विज्ञान एवं टैक्नोलॉजी के अनुसार अच्छी मशीन उच्च दक्षता (हाई एफीशिएंसी) वाली, कम इन पुट (कम खपत) में अधिक आउट पुट (अधिक परिणाम) देने वाली होनी चाहिए। भगवान् ने मनुष्य जीवन को उच्च दक्षता (हाई एफीशिएंसी) वाला ही बनाया है। वह नाम मात्र का निर्वाह लेकर भी शानदार लोक हितकारी कार्यों को अंजाम दे सकता है। ऐसी दक्षता वालों को ही देव संस्कृति में संत, ऋषि, साधु- ब्राह्मण कहा जाता रहा है। उन्हें ही सर्वोच्च सम्मान दिया जाता रहा है। जिन्होंने शानदार जीवन जिए हैं, ऐसे ऋषियों से लेकर विवेकानन्द, गाँधी, विनोबा, तमाम शहीदों, सुधारकों ने ऐसा उच्च दक्षता युक्त जीवन ही अपनाया है।
युवाओं को अनुभवियों से आदर्शों की शिक्षा लेकर अपने उत्साह को तदनुरूप दिशा देने की कला अपने अंदर विकसित करनी ही चाहिए। जेनरेशन गैप इसमें कहीं भी बाधक नहीं बनता। वैज्ञानिक, वकील, चिकित्सक, कलाकार, खिलाड़ी आदि वर्गों में पुरानी अनुभवी पीढ़ी के चुने हुए व्यक्ति नई पीढ़ी को विकसित करने, आगे बढ़ाने का कार्य कुशलता पूर्वक कर रहे हैं। जब उन सब में कहीं भी जेनरेशन गैप बाधक नहीं बनता, तो सांस्कृतिक, आदर्शों मानवीय जीवन मूल्यों को सीखने- सिखाने में उसे क्यों बाधक माना जाय? इस भ्रम से उबरा और उबारा जाय तथा नयों की ऊर्जा और पुराने के अनुभव के संयोग से शानदार नई पीढ़ी के विकास की ओर कदम बढ़ाये जायें।