इक्कीसवीं सदी का गंगावतरण

विज्ञान और अध्यात्म का समन्वय

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शान्तिकुञ्ज की गतिविधियों में एक बड़ा काम है अध्यात्म का विज्ञान के आधार पर नए सिरे से प्रतिपादन। अब तक शास्त्र उल्लेख और आप्त वचन ही अध्यात्म सिद्धान्तों को प्रतिपादन करते थे; पर अब बुद्धिवाद को प्रमुखता मिलने लगने से, तर्क, तथ्य, प्रमाण, उदाहरण आदि की अपेक्षा की जाने लगी है। शान्तिकुञ्ज का ब्रह्मवर्चस आश्रम इसीलिए विनिर्मित हुआ है। उसकी प्रयोगशाला में आधुनिकतम यन्त्रों एवं अति महत्त्वपूर्ण पुस्तकों को ऐसा संचय किया गया है कि उसके माध्यम से चलने वाली शोध, नई पीढ़ी की दृष्टि में आदर्शवादी तत्त्वदर्शन को प्रामाणिक सिद्ध कर सकें।

    ब्रह्मवर्चस् शोध संस्थान के अन्तर्गत जड़ी-बूटी विज्ञान की शोध का एक ऐसा विभाग आरम्भ किया गया है, जिसे आयुर्वेद का जीर्णोद्धार भी कह सकते हैं।

    इन शोध कार्यों में उन विषयों के विशेषज्ञ और पोस्ट ग्रेजुएट स्तर के कितने ही कार्यकर्ता संलग्र रहते हैं। इस प्रयोगशाला में एक विभाग और जोड़ा गया है, तकि मनुष्य की शारीरिक और मानसिक जीवनीशक्ति आँकी जा सके और उसका उपयोग उच्चस्तरीय प्रयोजनों में करने का मार्गदर्शन किया जा सके।



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