गीत माला भाग १०

पगले! दृष्टि बदल यदि

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मुक्तक-

आमन्त्रण आ रहा साथियों, नव भारत निर्माण का।
प्रतिभाओं प्रमाण देना है, अब आदर्श महान का॥

पगले! दृष्टि बदल यदि

पगले! दृष्टि बदल यदि जाय।
जैसा चश्मा चढ़े आँख पर, वैसा दृश्य दिखाय॥

दृष्टिकोण बदले तू बदले, जीवन नूतन होय।
धरा न बदले गगन न बदले, पर परिवर्तन होय॥
अगर सोचलें साधन बदलें, सब कुछ बदला जाय॥

साधन में सुख नहीं बावरे, सुखतो मन में होय।
बिन संतोष साधनों में भी, सुखी हुआ नहिं कोय॥
आ जाये संतोष सम्पदा, सुख अभाव में आय॥

सुख दुःख तो जीवन का क्रम है, चिन्ता से क्या होय।
हानि लाभ का हार जीत का, फिर क्यों रोना रोय॥
अच्छा बुरा समय कट जाता, साहस अगर जुटाय॥

आप भला तो जगत भला है, बुरा न दीखे कोय।
सबके सब ही आत्म रूप हैं, कौन पराया होय॥
अपना सुख सब कोई बाँटे, सबका दुःख बँटाय॥

जीवन का तात्पर्य मानव जीवन से है, पशु- पक्षी जीवन से नहीं और संगीत से तात्पर्य केवल शास्त्रीय संगीत ही नहीं बल्कि भाव संगीत, चित्रपट संगीत, लोक संगीत आदि से भी होता है।
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