परिवर्तन का समय आ गया
परिवर्तन का समय आ गया, जोश भरा जन- जन में।
गुरुवर का चिंतन छाया है, धरती और गगन में।।
गुरुवर ने हम सबका जीवन, धोया और सँवारा।
हम सब मिलकर कार्य करेंगे, अनुशासन में सारा।।
फूल खिलायेंगे खुशियों के, हम सब जग उपवन में।।
कदम नहीं अब हटेंगे पीछे, ‘लाल मशाल’ लिये हैं।
दुष्प्रवृत्तियाँ दूर करेंगे, संजीवनी पिये हैं।।
ज्ञानयज्ञ की ज्योति जल रही, वसुधा के कण- कण में।।
चिंतन और चरित सुधरेगा, आत्म- सुधार करेंगे।
गाँव- नगर हर शहर- डगर में, चिंतन दीप जलेंगे।।
ज्ञान- कर्म का संगम होगा, पावन जन- जीवन में।।
कलाकार, कवि, गायक, वक्ता, सृजन करेंगे मिलकर।
अह्लादित होगी धरती, आयेगा स्वर्ग उतरकर।।
ऋषियों के आदर्श दिखेंगे, घर- घर, हर आँगन में।।
पक्षी, भ्रमर, पतंगे, मृग और जीवजन्तु तक गायन करते रहते हैं। गीत- ब्रह्माण्डव्यापी है। संगीत मनुष्यों की ही नहीं, सृष्टि के समस्त प्राणधारियों की सम्पदा है।
- नारद संहिता