‘महिला जागृति अभियान’ वंदनीया माता जी के संपादकत्व में अनेक वर्षों तक प्रकाशित होती रही है। इस पत्रिका के माध्यम से आत्म विस्मृति के गर्त में पड़ी नारियों को उबारने और पुरुषों को उनकी गरिमा व महिमा समझाने का वे निरंतर प्रयास करती रही हैं। उनके इन लेखों की उपयोगिता और महत्व आज भी उतना ही अधिक है जितना कि तब था। आज हमारे बीच उनके सशरीर न रहने के कारण उनके ये लेख नारी जागृति एवं उत्थान की दिशा में हमें विशेष रूप से प्रेरणा एवं उत्साह प्रदान करेंगे।
महिला जागरण एवं उन्हें, उनके बलात् अपहृत किए गए गरिमामय सिंहासन पर पुनः प्रतिष्ठित करना वंदनीया माताजी का स्वप्न रहा है और जीवन ध्येय भी। इसी तथ्य को ध्यान में रखकर हम इस श्रद्धांजलि वर्ष में ‘महिला जागृति अभियान’ में प्रकाशित उनके लेखों को संकलित कर निम्नलिखित तीन पुस्तकों के रूप में प्रकाशित कर रहे हैं।
1. पत्नी का सम्मान—गृहस्थ का उत्थान
2. नारी उत्थान में समाज का उत्तरदायित्व
3. मातृ शक्ति के उत्थान में उनकी स्वयं की भूमिका
आशा एवं विश्वास है कि परिजन एवं पाठक इन पुस्तकों का समुचित लाभ उठायेंगे।
—लीलापत शर्मा