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June 1977

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माँसमूत्रपुरीशास्थिनिर्मितेऽस्मिन्कलेवने। विनश्वरे विहायास्थाँ यशः पालय मित्र में॥

हे मित्र! माँस, मल-मूत्र तथा हड्डी से बने हुए विनाशी शरीर में आस्था को छोड़कर मेरे यश को बढ़ाओ।


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