माँसमूत्रपुरीशास्थिनिर्मितेऽस्मिन्कलेवने। विनश्वरे विहायास्थाँ यशः पालय मित्र में॥
हे मित्र! माँस, मल-मूत्र तथा हड्डी से बने हुए विनाशी शरीर में आस्था को छोड़कर मेरे यश को बढ़ाओ।