प्रसन्नता पुरस्कार नहीं वरन् सही ढंग सोचने की आदत का स्वाभाविक परिणाम है। इस प्रकार दुःख कोई दंड नहीं वरन् गलत ढंग सोचते रहने की सहज प्रतिक्रिया है।