कटोरी घड़े के सिर पर रखी रहती-फिर भी वह सदा खाली ही दीखती, अपनी रिक्तता पर खेद व्यक्त करते हुए एक दिन कटोरी ने घड़े से शिकायत की-आप सभी पास आने वाले को भरपूर जल देते हैं। फिर मुझ पर अनुग्रह क्यों नहीं करते?
घड़े ने कहा-दूसरे विनयपूर्वक झुकते और माँगते हैं, पर तुम तो अहंकार से मेरे सिर पर ही सवार रहती हो तुम्हें दे भी पाऊं तो कैसे? विनयशीलता के बिना किसी को भी तो कुछ नहीं मिलना।