पाप सबके सामने प्रकट करो (kahani)

August 1977

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एक चोर सन्त नानक के पास पहुँचा और इस बुरी आदत से छुटकारा पाने का उपाय पूछा।

नानक ने जो उपाय बताये वे उससे निभते न थे। एक के बाद एक उपाय बदलते-बदलते जब हुत दिन बीत गये और किसी से भी वह आदत न छूटी तो उन्होंने चोर को बताया कि तुम अपने पाप सबके सामने प्रकट करो।

चोर का बार-बार आना और पूछना समाप्त हो गया और आदत भी सुधर गई। पाप प्रकट करने में उसे लज्जा लगती थी, सो उसने चोरी करना ही बन्द कर दिया।


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