शास्त्र पढ़कर भी लोग मूर्ख होते हैं, किन्तु जो उसके अनुसार आचरण करता है वस्तुतः वही विद्वान है। रोगियों के लिए भली-भाँति सोचकर निश्चित की हुई औषधि नाम उच्चारण करने मात्र से (बिना खिलाये) किसी को निरोग नहीं कर सकती।
—हितोपदेश