जिन सज्जनों ने पाँच वर्ष तक हमारे विचार परिवार में नियमित रूप से सदस्य बने रहने का प्रतिज्ञा-पत्र भरा है, उन्हें उस प्रतिज्ञा को पूरी श्रद्धा और तत्परता के साथ निबाहना चाहिए। कई व्यक्ति कौतूहलवश फार्म भरने में बड़ा उत्साह दिखाते हैं और पीछे उसे निवाहते नहीं। यह बुरी बात है। पिछली कई बार ऐसे कितने ही सज्जनों के कटु अनुभव हमें है। इसलिए इस बार बहुत जोर देकर कहा जा रहा है कि जिनने प्रतिज्ञा-पत्र भेजा हो, वे उसे एक आवश्यक कर्तव्य समझें भली प्रकार स्मरण रखें और दैनिक जीवन में एक अनिवार्य नित्य-कर्म की तरह सम्मिलित रखें।
परिवार निर्माण पर पूरा ध्यान दिया जाना चाहिए। रात्रि का आमतौर से सभी को अवकाश रहता है। एक घंटा इसके लिए निर्धारित कर लेना चाहिए कि अमुक समय परिवार के लोगों को इकट्ठे करके उन्हें कुछ सुनाया करेंगे। यह भी हो सकता है कि एक-एक दिन बारी-बारी से यह सुनाने का काम घर के पढ़े-लिखे लोगों को क्रम बाँध कर सौंप दिया जाय। महिलाएं, लड़कियाँ, लड़के घरों में पढ़े-लिखे होते हैं, पढ़ने बोलने, समझने का अवसर मिले, इसलिए यह क्रम अधिक उपयुक्त है। दिन में भी जब जिसके पास अवकाश हो उस समय उन्हें नव-निर्माण का साहित्य पढ़ने की प्रेरणा करनी चाहिए। प्रयत्न यह होना चाहिए कि अपने घर का कोई भी व्यक्ति ऐसा न हो जो नव-निर्माण की विचारधारा का लाभ न उठा रहा हो। सुधरे हुये जीवन-क्रम को अपनाना युग-निर्माण कार्यक्रम का प्रधान अंग है और वर्तमान परिस्थिति में उसकी जानकारी का मुख्य उपाय जीवन निर्माण करने वाले सत्साहित्य का स्वाध्याय और प्रसार ही होना चाहिए।
सायंकाल की परिवार गोष्ठी में पढ़े हुए विषयों पर प्रश्नोत्तर एवं शंका समाधान का क्रम भी रखा जा सकता है। कोई कठिन प्रसंग हो तो बीच-बीच में उसकी व्याख्या करते चलना चाहिए ताकि विषय अच्छी समझ में आ जाय।
अपने मित्रों, पड़ौसियों, परिचितों और संबंधियों में से ऐसे लोगों के नाम नोट करने चाहिए जो विचारशील हों। इन नोट किये लोगों की लिस्ट जितनी बड़ी हो सके उतनी ही प्रसन्नता की बात है। इन लोगों से जब भी किसी प्रसंगवश मिलना-जुलना हो तब नई पुस्तकें देने और पुरानी वापिस लेने का सिलसिला भी जारी रखना चाहिए। जो पुस्तकें उन लोगों ने पढ़ी हैं उनके विषयों पर समयानुसार विचार-विनिमय भी करते रहना चाहिए। इस प्रकार घर में तथा संबंधित व्यक्तियों में ज्ञान प्रसार यज्ञ के लिए एक घंटा समय लगाने का सिलसिला तुरन्त जारी कर देना चाहिए। कभी आवश्यक कार्य हो तो बात दूसरी है अन्यथा घर में चलने वाली परिवार गोष्ठी का समय तो नियत ही रहना चाहिए। बाहर के लोगों से संपर्क बनाने में जब भी अवकाश हो तब सुविधानुसार यह ज्ञान प्रसार की प्रक्रिया की जा सकती है। समय दान प्रतिज्ञा का आवश्यक अंग है, उसे प्रतिज्ञापत्र भरने वाले तुरन्त आरम्भ कर दें।
अब तक 20 नया पैसा सीरीज के 70 ट्रैक्ट छप चुके हैं। इनका मूल्य 14 होता है। 15 प्रतिशत कमीशन घटाकर और पोस्टेज जोड़कर यह वी. पी. 14)20 की बैठेगी। प्रथम सत्र आरम्भ करने के लिए यह सैट मँगाने का आर्डर भेज देना चाहिए। जिनके पास जो ट्रैक्ट हैं वे उनके नाम लिख दें तो शेष वी. पी. कर दिये जायेंगे।
युग-निर्माण योजना मासिक का वर्ष जुलाई से आरम्भ होता है। अब वह मासिक छप रहा है और चन्दा 4) है। प्रतिज्ञापत्र भरने वाले उसे भी मंगाते रहें, चन्दा अभी न भेजा हो तो अब भेज दें। इस प्रकार दोनों पत्रिकाओं तथा प्रस्तुत ट्रैक्टों के आधार पर नवनिर्माण की पुण्य प्रक्रिया अपने-अपने घरों से हर एक को आरम्भ कर देनी चाहिए। आशा है इसमें आलस्य-प्रमाद न किया जायगा।
*समाप्त*