गायत्री विद्या के अमूल्य ग्रन्थ रत्न

August 1962

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हजारों ग्रंथों की खोज, अगणित गायत्री उपासकों के सहयोग एवं तीस वर्ष की व्यक्तिगत साधना के फलस्वरूप विनिर्मित इन ग्रन्थों की एक−एक पंक्ति अनुभव के आधार पर लिखी गई है। गायत्री उपासना से समुचित लाभ उठाने के इच्छुकों के लिए यह साहित्य अनुभवी गुरु के समान पथ−प्रदर्शन करता है। इस विषय की सभी जिज्ञासाओं का इन पुस्तकों में समुचित समाधान मौजूद है।

1—गायत्री महाविज्ञान (तीनों भाग) मू. 10॥)

प्रथम भाग—गायत्री विद्या का वैज्ञानिक आधार, गुप्त शक्तियों का रहस्य, नित्य उपासना, अनुष्ठान विधि, गायत्री सम्बन्धी शंकाओं का समाधान, अनेक कष्टों का निवारण एवं अनेक कामनाओं की पूर्ति के लिए लगाये जाने वाले बीज−मन्त्रों का साधना विधान, आत्म साक्षात्कार एवं ऋद्धि−सिद्धियों का मार्ग, स्त्रियों की विशेष उपासना विधियाँ आदि अनेक महत्वपूर्ण विषयों का सुबोध ढंग से प्रतिपादन। मूल्य 3॥)

द्वितीय भाग—गायत्री द्वारा वाममार्गी तांत्रिक विधान के अनुसार मारण, मोहन, उच्चाटन, वशीकरण, मुद्रा आदि के अनेक विधानों का वर्णन तथा गायत्री गीता, गायत्री स्मृति, गायत्री संहिता, गायत्री उपनिषद्, गायत्री रामायण, गायत्री हृदय, गायत्री पंजर, गायत्री लहरी, गायत्री सहस्रनाम आदि का संग्रह। मूल्य 3॥)

2—गायत्री यज्ञ विधान (दोनों भाग) मू. 4)

प्रथम भाग—गायत्री यज्ञ का विज्ञान, लाभ एवं महत्व का तर्क, प्रमाण, शास्त्र एवं साइन्स के आधार पर बहुत ही खोजपूर्ण, खोजपूर्ण वर्णन। मूल्य 2)

द्वितीय भाग—गायत्री यज्ञ करने की शास्त्रोक्त विधि, प्रक्रिया, जलयात्रा, मंडप प्रवेश, वेदी पूजन, कुशकण्डिका, अग्निस्थापन, आहुति मंत्र, पूर्णाहुति, वसोधरा, घृत अवघ्राण, भस्मधारण, अभिसिंचन आदि का पूरा विधि विधान, जिसे समझकर बड़े यज्ञों का आचार्यत्व किया जा सकता है। मू. 2)

3—गायत्री चित्रावली (दोनों भाग) मू. 3॥)

प्रथम भाग-विविध प्रयोजनों के लिए गायत्री माता का ध्यान करने योग्य आर्ट पेपर पर छपे 24 तिरंगे चित्र तथा सरल भाषा में उनका महत्व प्रतिपादन। मू. 1)

द्वितीय भाग—व्याहृति समेत गायत्री के 26 अक्षरों में सन्निहित 26 महान् आदर्शों को 26 श्लोक, 26 लेख एवं 26 आर्ट पेपर पर छपे तिरंगे चित्रों द्वारा समझाया गया है। मू. 2)

4—गायत्री का मन्त्रार्थ मू. 1॥)

अनेक ग्रन्थों में, अनेकों ऋषियों द्वारा गायत्री महामंत्र के अनेक प्रकार के किए हुए अर्थों का संग्रह, राक्षसराज रावण का किया हुआ अर्थ भी इसमें है।

5—गायत्री ज्ञान मंदिर सैट 52 पुस्तकें मू. 13)

अपने घर में छोटा गायत्री पुस्तकालय स्थापित करके अपने सारे परिवार को, स्वजन सम्बन्धियों तथा मित्रों को पढ़ाने योग्य चार-चार आना मूल्य की अत्यंत सुन्दर, सस्ती, बढ़िया ग्लेज कागज पर तिरंगे सुन्दर टाइटिलों की 52 पुस्तकें छापी गई हैं। गायत्री महाविद्या की अत्यंत महत्वपूर्ण साधना से अधिकाधिक लोगों को परिचित कराने तथा इस महामंत्र के एक-एक अक्षर में सन्निहित नैतिकता, मानवता, धार्मिकता एवं आध्यात्मिकता की शिक्षाओं का विचार करने के लिए यह सैट बहुत ही उपयोगी है। प्रत्येक गायत्री प्रेमी अपने घर में इस सैट की स्थापना करके गायत्री पुस्तकालय चलाने का श्रेय लाभ कर सकता है।

पता - अखण्ड ज्योति प्रेस, मथुरा।

*समाप्त*


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