गायत्री माता, जय, गायत्री माता!
तू है परम पुनीत वेद-ध्वनि, अनुपम, अभिजाता, भक्त समूह समुद युग-युग से तेरे गुण गाता।
तू ही संकट शमन- कारिणी, तू सब की त्राता, तेरे ही प्रताप से बनते बुध, पण्डित, ज्ञाता!
भक्ति-भाव से जो भी तेरे चरणों में आता, माता! तेरी कृपा-कोर से वाञ्छित फल पाता!
तू है रिद्धि-सिद्धि, सुख-वैभव, नव-जीव-दाता, दे ‘रजेश’ को वह दयामयि! जो तेरा भाता!
गायत्री माता! जय, गायत्री माता!!