विशद् गायत्री महायज्ञ

September 1955

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गायत्री तपोभूमि में इन दिनों विशद् गायत्री महायज्ञ का कार्यक्रम बड़े ही शान्त एवं भावनापूर्ण वातावरण में चल रहा है। बहुधा 30 से लेकर 40 तक साधकों का निवास तपोभूमि में रहता है प्रातः काल सूर्य उदय होते ही गायत्री महायज्ञ आरम्भ हो जाता है। तीसरे पहर से विशेष यज्ञों की शृंखला वाला कार्यक्रम चलता है। श्रावण मास में रुद्र यज्ञ बड़े आनन्द पूर्वक शास्त्रोक्त विधि से पूर्ण हो गया। प्रथम भाद्रपद में विष्णु यज्ञ चल रहा है। दूसरे भाद्रपद में विष्णु यज्ञ चलेगा। आश्विन के प्रथम पक्ष में पितृ यज्ञ का और द्वितीय पक्ष में शतचण्डी का आयोजन रखा गया है। पितृ गणों की शांति और सद्गति में पितृ सूक्त के वेद मन्त्रों से हवन तर्षण आदि की प्रक्रिया बड़ी ही सहायक होती है। शतचण्डी अनेक अनिष्टों के निवारण में विशेष साधन अनुष्ठान आदि करने के लिए अनेकों साधक तपोभूमि में आते हैं, उनकी यहाँ आने की तैयारी अभी से आरंभ हो रही होगी। यह दशा के अनिष्टों से पीड़ितों के लिए कार्तिक मास में होने वाला नवग्रह यज्ञ बहुत ही श्रेयष्कर है। इन यज्ञों में भाग लेकर आत्म−कल्याण एवं विश्व शान्ति का महान् पुण्य संचय करने के लिए जो लोग तपोभूमि में आना चाहते हैं, उन सत्पात्रों के लिए यहाँ सब प्रकार की सुविधाजनक व्यवस्था है। मार्गशीर्ष से लेकर फाल्गुन तक यजुर्वेद, ऋग्वेद, अथर्ववेद, सामवेद के यज्ञ भी भली प्रकार पूरे हो जावेंगे। प्रतिदिन 7−8 घंटा हवन होते रहने की सामग्री, घी, समिधा आदि का खर्च, आश्रमवासियों का भोजन व्यय, भागीदार और संरक्षकों का पत्र व्यवहार फार्म आदि का खर्च कुल मिलाकर इतना अधिक बैठता है, जो लोगों की सहायता से कई गुना अधिक होता है। इसकी पूर्ति उसी प्रेरक शक्ति पर निर्भर है जिसकी प्रेरणा से यह असाधारण कार्यक्रम आरम्भ हुआ है।

अखण्ड−ज्योति के अगले अंक

अखण्ड−ज्योति का ‘जुलाई अगस्त’ का अंक यज्ञ महत्व अंक था। मथुरा के प्रेसों की आम हड़ताल के कारण गत अंक कई प्रेसों में थोड़े−थोड़े पृष्ठ छपाने पड़े जिससे अशुद्धियाँ भी बहुत रहीं और लेट भी बहुत निकला, इससे निश्चय ही पाठकों को बड़ी असुविधा हुई, फिर भी इस अंक की खोजपूर्ण सामग्री को सर्वत्र बहुत ही पसन्द किया गया। अब इसी वर्ष छोटे−छोटे दो विशेषांक और निकाले जा रहे हैं। अगला−अक्टूबर का अंक−अनुभव अंक होगा। इसमें गायत्री उपासना तथा यज्ञ सम्बंधी अनुभव प्रकाशित होंगे। इसके बाद नवम्बर या दिसम्बर का अंक “यज्ञ विज्ञान अंक” होगा। जिसमें यज्ञ संबंधी साइंस तथा सूक्ष्म प्रक्रियाओं का समुचित विवेचन रहेगा। इसके कुछ ही समय बाद ‘यज्ञ विधान अंक’ निकालने की तैयारी की जायगी। जिसमें अनेक प्रकार के यज्ञों की पद्धतियों का विधान भली प्रकार समझाया जायगा। अगले वर्ष हर महीने भारतीय संस्कृति, सिद्धान्तों, आदर्शों, कार्यक्रमों, कर्मकाण्डों, व्रतों, त्यौहारों, रीति−रिवाजों, भाषा, वेष, भाव आदि की विवेचना की विशेष तैयारी के साथ चर्चा रहा करेगी। ताकि हर भारतीय अपने धर्म विज्ञान के रहस्यों से ठोस आधार पर अवगत हो सके। अगले वर्ष अखण्ड−ज्योति की पृष्ठ संख्या लगभग ड्यौढ़ी कर देने का विचार हे− यदि ऐसा हुआ तो मूल्य ड्यौढ़ा तो नहीं किया जायगा पर उसमें कम से कम आठ आने तो जरूर बढ़ाने पड़ेंगे।

देश भर में प्रचार तथा प्रकाश

प्रसन्नता की बात है गायत्री तपोभूमि में आयोजित कार्यक्रमों द्वारा अनेक स्थानों पर सामूहिक रूप से छोटे बड़े गायत्री सम्मेलन, गायत्री मन्त्र, गायत्री पुरश्चरण तथा गायत्री यज्ञ हो रहे हैं, रोहतक के महात्मा प्रभु आश्रितजी, आचार्य नित्यभूषणजी, तपोवन देहरादून के महात्मा आनन्द स्वामी, कनखल के तपोनिष्ठ गायत्री स्वरूपजी वानप्रस्थी आदि मनुष्य तो अपना पूरा समय और मन ही गायत्री माता के लिए उत्सर्ग किये हुए है और घर−घर इस महान् ज्ञान की अलख जगा रहे हैं। आशा है और भी आत्माएं इस दिशा में अग्रगामी होंगी।


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