लक्ष्य है, पथ है, उदय है, अब चरण किसकी प्रतीक्षा?
है नहीं पाथेय कुछ भी, और कोई भी न सहचर। रच रही है राह पगध्वनि और गति है, श्वास का स्वर॥
मौन जीवन की समीक्षा! अब चरण किसकी प्रतीक्षा!
दिवस एकाकी, अकेले चाँद सूरज, निशि अकेली। पूर्ण प्रति सत्ता, स्वयं ही पूर्ति, सीमा है पहेली॥
अब मनुजता की परीक्षा! अब चरण किसकी प्रतीक्षा!
है प्रतीक्षा ही यहाँ पर, हार की असफल कहानी॥ है अकेलापन स्वयं जप, और जागृति की निशानी॥
मत नियति से माँग भिक्षा! अब चरण किसकी प्रतीक्षा!