माता का प्यार (Kavita)

June 1954

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प्यारा तुम्हारा ही तो माँ इन गीतों में साकार हो गया। बरसाया पीयूष मरुस्थल सोने का संसार हो गया॥

गला दिया तुमने निज जीवन विश्व वाटिका यह लहराई। आँधी पानी में आँचल ढक बुझती दीपक शिक्षा बचाई॥

क्रोध तुम्हारा उमड़ पड़ा तो चण्डी का अवतार हो गया। प्यार तुम्हारा ही तो माँ0

रोती ठोकर, खाकर दुनिया थपकी खाकर, फिर सो जाती। उमड़ तुम्हारी करुणा धारा फूलों पर मोती बिखराती॥

प्यारा तुम्हारा तूफानों में नैया का पतवार हो गया। प्यार तुम्हारा ही तो माँ0

किसे भला अवकाश कि सुनले क्षण भर मेरी करुण कहानी। तुम्हीं न हो तो प्राणों में ढालूँ इन आँखों का पानी॥

हाथ लगा दो करुणामय बस मेरा बेड़ा पार हो गया। प्यार तुम्हारा ही तो माँ इन गीतों में साकार हो गया॥


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