मनुष्य को अपना महत्व समझ लेने दो फिर वह सब वस्तुओं को अपने पैरों के नीचे कर लेगा, अपने वश में कर लेगा।
-इमरसन
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राग के समान आग नहीं, द्वेष के समान भूत पिशाच नहीं, मोह के समान जाल नहीं, तृष्णा के समान नदी नहीं।
-महात्मा बुद्ध
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जो मनुष्य सुनकर, खाकर, देखकर छूकर न तो प्रसन्न होता है और न उदास होता है उसे जितेन्द्रिय मानना चाहिए।
-मनु स्मृति
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जहाँ पुरुष से स्त्री, और स्त्री से पुरुष सन्तुष्ट हो, उसी घर में निश्चित ही कल्याण का निवास होता है।
-मनु