धर्म प्रचारकों का पथ

December 1953

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भिक्षुओं! क्या मैं अकेला ही इस ज्ञानानन्द का अनुभव करूं? भावी संतान को जब ज्ञात होगा कि सिद्धार्थ ने अपूर्व ज्ञान लाभ किया था और उसने वह किसी दूसरे को नहीं दिया तो वे मुझे क्या कहेंगे? जाओ, चारों दिशाओं में जाकर संतप्त-हृदय संसारी जनों को धर्म का उपदेश कहो। सब अकेले अकेले एक एक मार्ग से जाना, कहीं दो आदमी एक साथ न जायं।

प्रपूरय धर्मशंखं, प्रताडय धर्मदुन्दुभिं। प्रसारय धर्मध्यजाँ, धर्मं कुरु, धर्मं कुरु॥

-धर्म का शंख फूँक दो, धर्म का डंका बजा दो, अखिल विश्व में धर्मध्वजा फहरा दो। धर्म करो, धर्म करो, धर्म करो!!!

भिक्षुओं! सुनो, यदि कोई मेरी, धर्म की या संघ की निन्दा करे, तो क्या तुम लोग कुपित और खिन्न हो जाओगे और इसकी जाँच भी न करोगे कि उन लोगों के कहने में क्या सच बात है और क्या झूँठ? तो इसमें तुम्हारी ही हानि होगी। तुम लोगों को सच और झूँठ बात का पूरा पता लगाना चाहिए कि क्या यह बात ठीक नहीं है? क्या वह बात हम लोगों में बिलकुल नहीं है?

भिक्षुओं! और यदि कोई मेरी, धर्म की या संघ की प्रशंसा करे, तो तुम लोगों को न आनन्दित न प्रसन्न और न हर्षोत्फुल्ल हो जाना चाहिए। यदि कोई प्रशंसा करे, तो तुम लोगों को सच और झूँठ बात का पूरा पता लगाना चाहिए कि क्या यह बात ठीक है? यह बात हम लोगों में है और यथार्थ में है? और देखो, तुम स्वयं किसी की निन्दा न करो। सबको उचित सम्मान दो। यह कभी न भूलो कि-

येचा बुद्धा अतीता च येच बुद्धा अनागता। पच्चुप्पन्ना च ये बुद्धा अहं वन्दामि सब्बदा॥

वो भी भूतकाल में बुद्ध (जागृत) रहे है, जो वर्तमान काल में बुद्ध हैं और जो भविष्य में बुद्ध होंगे, मैं उन सबको प्रणाम करता हूँ।

“प्रेरितो! ईश्वर की आत्मा का समावेश मुझ में है। क्योंकि उसने निर्धनों को शुभसंदेश की शिक्षा देने की मुझे दीक्षा दी है। उसने कैदियों के लिये छुटकारे की घोषणा कर देने के लिए मुझे भेजा है और इसलिए भी मुझे भेजा है कि मैं अंधों को फिर से दृष्टि प्रदान करूं, पीड़ितों को छुटकारा दूँ’ तथा सर्वपूज्य प्रभु के राज्य की घोषणा कर दूँ।”

विश्वपिता के सुपुत्रों! चलते चलते प्रचार कर कहो कि, स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है। तुमने मुफ्त में पाया है मुफ्त में दो। अपने बटुओं में न सोना, न रुपया, न ताँबा रखना। मार्ग के लिये न झोली रखो, न कुरते, न जूते, न लाठी लो, क्योंकि मजदूर को अपना भोजन मिलना चाहिये।

देखो, मैं तुझको भेड़ों की नाइ भेड़ियों के बीच भेजता हूँ, सो साँपों की नाइ बुद्धिमान और कबूतरों की नाइ भोले बनो। पर लोगों से चौकस रहो, क्योंकि वे तुम्हें महासभाओं में सौंपेंगे और अपनी पंचायतों में तुम्हें कोड़े मारेंगे। जब वे तुम्हें सौंपे तो यह चिन्ता न करना कि किसी रीति से या क्या करोगे। क्योंकि जो कुछ तुमको कहना होगा, वह उसी घड़ी तुम्हें बता दिया जावेगा। क्योंकि बोलने वाले तुम नहीं हो पर तुम्हारे पिता का आत्मा तुम में बोलने वाला है। मेरे नाम के कारण सब लोग तुमसे बैर करेंगे, पर जो अन्त तक धीरज धरे रहेगा, उसी का उद्धार होगा। चेला अपने गुरु से बड़ा नहीं। जब उन्होंने घर के स्वामी को शैतान कहा तो उसके घर वालों को क्यों न कहेंगे? सो उनसे न डरना, क्योंकि कुछ ढ़का नहीं जो खोला न जायेगा और न कुछ छिपा है जो माना न जायेगा। माँगों तो तुम्हें दिया जायेगा, ढूंढ़ो तो तुम पाओगे। लो मैं तुमसे अंधेरे में कहता हूँ, उसे उजाले से कहो और जो कानों कान सुनते हो उसे होठों पर से प्रचार करो।

जो शरीर का घात करते हैं पर आत्मा का घाव नहीं करते, उनसे न डरना, पर उसी से डरो जो आत्मा और शरीर दोनों को नरक में डाल सकता है। जो अपना प्राण बचाता है वह उसे खोयेगा और जो मेरे इस कार्य के कारण अपना प्राण खोता है वह उसे बचायेगा। जिसके हृदय में मेरे अनुकरण की इच्छा हो, उसे चाहिए कि अपने जीवन को सर्वथा विस्मृत कर दे और अपनी सूली उठाकर निर्भयतापूर्वक मेरे पीछे चले। तुम सुन चुके हो कि कहा गया था कि अपने पड़ौसी से प्रेम रखना और अपने बैरी से बैर। पर मैं तुम से कहता हूँ कि अपने बैरियों से भी प्रेम रखना और अपने सताने वालों के लिए प्रार्थना करना। इससे तुम अपने स्वर्गीय पिता की सन्तान ठहरोगे, क्योंकि वह भलों और बुरों दोनों पर सूर्य उदय करता है और धर्मियों और अधर्मियों-दोनों पर मेंह बरसाता है। वैद्य की आवश्यकता भले-चंगों के लिये नहीं, बीमार के लिये है। तुम जाकर इसका अर्थ सीखो कि मैं दया चाहता हूँ, बलिदान नहीं। क्योंकि मैं धर्मात्माओं को नहीं, बल्कि पापियों को पश्चाताप के लिये बुलाने आया हूँ।

चौकस रहो, तुम मनुष्यों के सामने दिखाने के लिए अपने धर्म के काम न करो, नहीं तो अपने स्वर्गीय पिता से कुछ फल न पाओगे। इसलिये जब तू दान करे तो अपने आगे तुरही न फुँकवा ओर जब तू प्रार्थना करे तो वह दाँभिकों के समान न हो। तुम इस रीति से प्रार्थना करना- “हे हमारे स्वर्गीय पिता, तेरा नाम पवित्र माना जाये, तेरा राज्य आये। तेरी इच्छा जैसी स्वर्ग में पूरी होती हो वैसी पृथ्वी पर भी सुफलित हो। हमारी दिन भर की रोटी आज हमें दे और जैसा हमने अपने अपराधियों को क्षमा किया है, वैसे ही हमारे अपराधों को क्षमा कर और हमें परीक्षा में न ला, बल्कि बुराई से बचा।”

तुम यह चिन्ता भी न करना कि क्या खायेंगे और क्या पियेंगे? तुम्हारा स्वर्गीय पिता जानता है कि तुम्हें यह सब वस्तुएँ चाहियें। परन्तु पहले उसके राज्य और धर्म की खोज करो, फिर ये सब चीजें मिल जायेंगी, तो कल के लिये चिन्ता न करो, क्योंकि कल अपनी चिन्ता आप करेगा। आज का दुःख ही आज के लिये बहुत है।

यह चिन्ता भी न करो कि हमारा प्रचार सफल ही क्यों न रहा? देखो, एक बोने वाला बीज बोने निकला। बोते हुए कुछ बीज मार्ग के किनारे गिरे और पक्षियों ने आकर उन्हें चुग लिया। कुछ पथरीली भूमि पर गिरे, जहाँ उन्हें बहुत मिट्टी न मिलने से वे जल्द उग आये पर सूरज निकलने पर वे जल गए और जड़ न पकड़ने से सुख गये। कुछ झाड़ियों में गिरे और झाड़ियों ने बढ़कर उन्हें दबा डाला। पर कुछ अच्छी भूमि पर गिरे और फल लाये, कोई सौगुना, कोई साठ गुना, कोई तीन गुना। जिसके कान हो वह सुन ले।

धन्य है वे जो मन के दीन हैं, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्हीं का है। धन्य है वे जो शोकानुभव करते हैं, क्योंकि वे शाँति पायेंगे। धन्य है वे जो नम्र हैं, क्योंकि वे पृथ्वी के अधिकारी होंगे। धन्य है वे जो धर्म के भूखे-प्यासे हैं, क्योंकि वे तृप्त किये जायेंगे। धन्य है वे जो दया तंत्र हैं, क्योंकि उन पर दया की जायेगी। धन्य है वे जो दिल से विशुद्ध हैं, क्योंकि वे परमेश्वर का दर्शन करेंगे। धन्य है वे जो मेल कराने वाले हैं, क्योंकि वे परमेश्वर के पुत्र कहलायेंगे। धन्य है वे जो धर्मप्रचार के कारण सतायें जाते हैं, क्योंकि स्वर्गीय राज्य उन्हीं का है।

- महात्मा ईसा मसीह

ऐ संदेशवाहकों! तुम सब एक ही महान जाति के सदस्य हो। धर्म में कोई जबरदस्ती नहीं है पथभ्रष्टता से बचने का- सन्मार्ग पर चलने का आदेश प्रकट हो चुका है। जो चाहे मोमिन (सदाचारी) बने और जो चाहे काफिर (दुराचारी) बने। यदि तुम्हारा परमेश्वर चाहता तो संसार में जितने लोग हैं, सब ईमान ले जाते। क्या तुम लोगों को मजबूर करेंगे कि वे मोमिन हो जायें? मगर, सचाई का प्रचार करने के लिए तो सबको प्रयत्न करना चाहिए। अपने ईश्वर के मार्ग की ओर लोगों को बुद्धिमत्ता और उपदेशपूर्वक बुलाओ तथा उनके साथ समुचित रूप से धार्मिक वार्तालाप करो।

यदि इन लोगों ने तुम्हें झुठलाया तो तुमसे पहिले भी बहुत से देवदूत झुठलाये जा चुके हैं जो कि चमत्कार, संदेश और दिव्य किताबें लेकर आये थे। तुम उसी प्रकार धैर्य धारण करो जिस प्रकार तुमसे पूर्व के आदर्शवादी देवदूतों ने धैर्य धारण किया और इनके लिए जल्दी न करो। तुम हिम्मत न हारो और चिन्ता न करो, यदि तुम आचारवान हो तो तुम्हारा सिर ऊँचा रहेगा।

गुरुपुत्रों! आज से एक गुरुदेव ही तुम्हारे पिता, जातिवर्ण और देवता है। आप सब चार वर्णों के लोग भाई भाई हैं- एक ही धर्म के हैं। सब पृथक् पृथक् धर्म मार्गों को छोड़िये और एक ही प्रेम के मार्ग पर पैर धरिये। अपने आपको किसी दूसरे से बड़ा न समझे। खालसा धर्म के आप सब भाई बन कर रहें। याद रखिये मौत पहले बनी है और शरीर पीछे। मौत आयेगी अवश्य एक दिन, इसलिए मत डरो मौत से। सदा तैयार रहो मौत के लिए। रूह और तलवार के अमृत कुण्ड से नया जन्म पाओ। नया जन्म लिये बिना, यह मुर्दा कौम अब जी नहीं सकती है। खालसा! प्रजा इस समय मृतक समान खोई हुई है, राजा लोग ईर्ष्या में फँसे पड़े हैं। यदि आप जो सब भाग रहे हैं, अब न उठे तो सृष्टि मर मिटेगी और यदि आप अब अपने सिंहनाद के साथ गरज पड़े तो सारी दुष्टता विलय जायगी, मुर्दे जी उठेंगे और वह समय आयेगा जब तुम्हारे कारनामों को सब जगत सराहेगा।

-गुरु गोविन्द सिंह जी

अब एकान्त में ही संकीर्तन करते रहने से काम नहीं चलेगा। अब हमें नगर-नगर और घर घर में हरिनाम का प्रचार करना होगा। परन्तु याद रहे, प्रचार करते समय पात्रापात्र अथवा छोटे बड़े का कुछ भी ख्याल न कर पण्डित से लेकर मूर्ख तक सबको समभाव से स्थान देना ही उचित हैं। भगवान् पतितपावन है, इसे कभी न भूलो।

-श्री चैतन्य महाप्रभु


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