VigyapanSuchana

March 1952

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त्यागो! और अवश्य त्यागो!!

1—बुद्धि से संकोच।

2—मन से कुविचार।

3—हृदय से भय।

4—समाज से कुरीतियाँ।

5—देश से स्वार्थपरता।

6—धर्म से निरर्थक रूढ़ियां।

7—राजनीति से साम्प्रदायिकता।

8—अछूतों से अस्पृश्यता।

9—दीनों का तिरस्कार।

10—रोगी से घृणा।

11—शरीर से निर्बलता।

12—इन्द्रियों से अपवित्रता।

13—नेत्रों से कुदृष्टि।

14—मुख से अप्रिय वचन।

15—श्रवण से निंदा स्तुति की रुचि।

16—रसना से रसास्वादन की कामना।

17—हाथों से क्रूर कर्म।

18—पैरों से कुमार्ग गमन।

—ज्वाला प्रसाद गुप्त, एम.ए.एल.टी. फैजाबाद

गायत्री चर्चा-


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