शहद के उपयोग

February 1952

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श्री कविराज महेन्द्र नाथ पाण्डेय ने “शहद के गुण और उपयोग“ नामक पुस्तक लिखी है। उसका कुछ अंश नीचे उद्धृत किया जाता है।

(1) त्रिफला का चूर्ण शहद, घी और कान्तिसार भस्म इन सब को मिलाकर रात में सेवन करने से पुरुषार्थ बढ़ता है।

(2) त्रिफले का काढ़ा शहद के साथ पीने से मेद रोग अर्थात् मोटापा दूर होता है।

(3) हल्दी का चूर्ण, आँवले का रस और शहद मिलाकर चाटने से प्रमेह नष्ट होता है।

(4) 3 माशे हल्दी का चूर्ण और एक तोला शहद एक में मिलाकर चाटने से प्रमेह नष्ट होता है। कोई कोई वैद्य इसको विद्या बागीश कहते हैं।

(5) गुरुच के स्वरस में शहद मिलाकर पीने से प्रमेह नष्ट होता है। इसी दवा से कामला या पीलिया रोग भी अच्छा होता है।

(6) गुरुच का रस एक माशा, सेंधा नमक एक माशा, शहद एक माशा तीनों को खरल करें और किसी बर्तन में रख लें। इसका अंजन आँखों में लगाने से आँखों की खुजली, मोतियाबिन्द और काले और सफेद भाग के सब रोग नष्ट होते हैं।

(7) एक तोला आँवले का रस और एक तौला शहद एक में मिलाकर चाटने से प्रमेह नष्ट होता है।

(8) एक तोला शहद में बारह रत्ती शुद्ध शिलाजीत मिलाकर चाटने से प्रमेह नष्ट होता है। यह प्रयोग कम से कम 21 दिन तक करना चाहिये।

(9) शहद, सेमर की छाल का रस और हल्दी का चूर्ण एक में मिलाकर चाटने से प्रमेह रोग नष्ट होता है।

(10) शहद, पका केला, आँवले का रस और मिश्री एक में मिलाकर खाने से पुरुषों का प्रमेह और स्त्रियों का प्रदर रोग नष्ट होता है।

(11) शहद को रुमी मरतगी के साथ देने से दिमाग की खराब रतूबत या विकार निकल जाता है। और इसी तरह मेदे को ताकत मिलती है।

(12) फालिज, लकवा, अंगों का टेढ़ा होना और वायु के विकारों में और पेट में वायु भरने पर भी शहद का उपयोग बहुत लाभदायक होता है।

(13) कुन्दूर एक प्रकार का गोंद है, इसके साथ शहद खाने से, कमल, तिल्ली को दूर करता है और गुरदे की पथरी को साफ करता है।

(14) शहद का गरारा करने से गले की सूजन और जीभ के छाले और घाव में लाभ पहुँचता है।

(15) सिर के में मिलाकर दाँत मलने से दाँत साफ होते हैं और दाँत और मसूड़ों में ताकत आती है।

(16) आँख में शहद का अंजन लगाने से आँख की रोशनी बढ़ती है।

(17) शहद गरम करके कान में डालने से कान का दर्द दूर होता है, यदि कान में घाव हो तो वह भी अच्छा हो जाता है।

(18) शहद घाव पर लगाया जाता है, इसके लगने से घाव साफ हो जाता है और भर जाता है।

(19) तिल काली पीस कर शहद मिला कर घाव में लगाने से घाव भर जाता है।

(20) सोया के बीज पीस कर शहद में मिला कर लगाने से दाद में लाभ होता है।

(21) सेंधानमक, कड़वा तेल और अदरक का रस तथा शहद सबको एक में मिला कर गरम करके कान में डालने से कान का दर्द दूर हो जाता है।

(22) असली शहद में रुई तर करके तुरन्त के उठे हुए फोड़े या शोथ में बाँधने से फोड़ा बैठ जाता है।

(23) अगर प्यास बहुत लगती हो और भीतर जलन होती हो तो ठण्डे पानी में मधु मिला कर पिला देने से शान्ति मिलती है।

(24) खाँसी में एक तोले की मात्रा में शहद दिन में तीन बार चटाने से कफ छँटकर निकल जाता है और खाँसी में आराम हो जाता है।

(25) उकबत या एक्जिमा के ऊपर कुछ दिनों तक लगातार शहद लगाया जाय तो रोग में धीरे-धीरे आराम हो जाता है।

(26) आग से जल जाने पर शहद लगाने से जलन मिटती है और यही शहद कुछ दिन तक लगातार लगाया जाय तो घाव भी अच्छा हो जाता है।

(27) पायरिया में मसूड़े में दर्द होता है सूजन होती है, मवाद आता है। अगर मुँह में शहद कुछ देर तक रखा जाय तो मसूड़े का दर्द, सूजन और मवाद का आना बन्द हो जाता है।

(28) ठण्डे पानी में मधु मिला कर कुल्ला करने से मुँह से छाले और घाव अच्छे होते हैं।

(29) गले का कौवा लटक आने से खाँसी आने लगती है। अंगूठे में शहद लगाकर अगर कौवे को उठाया जाय और दिन में तीन चार बार शहद लगा दिया जाय तो कौवा उठ जाता है।

(30) कानों में शहद डालने से कान की पीड़ा शान्त होती है।

(31) शरीर के किसी हिस्से में दर्द हो जैसे गठिया के कारण गाँठों में या दाँत में या अन्य कहीं, वहाँ कपड़े में शहद भिगोकर रख देने से आराम मिलता है।

(32) यदि सर्दी के कारण गला बैठ गया हो तो दिन में तीन चार बार एक-एक या आधा-आधा तोला शहद चटाना चाहिए।

(33) सूजाक की बीमारी पेशाब की नली में घाव होने से होती है। यदि उसमें शहद की पिचकारी दी जाय तो घाव साफ होकर भर जावेगी और सूजाक अच्छा हो जाएगा।

(34) आधी छटाँक पानी में एक तोला शहद मिलाकर दिन में कई बार पीने से कुछ दिनों में मोटापन दूर हो जाता है।

(35) प्रातःकाल खाली पेट तीन चार महीने तक प्रतिदिन तोले सवा तोले शहद चाटने से मानसिक परिश्रम में थकावट कम मालूम होती है और शरीर में सुस्ती भी नहीं मालूम होती है।

(36) एक बार में आधी छटाँक से ज्यादा शहद हरगिज न लेना चाहिए इससे ऊपर लेने से हानि की सम्भावना रहती है। आध पाव या तीन छटाँक शहद एक बार लेने से शहद के उपद्रव दिखाई देने लगते हैं। चार पाँच घन्टे तक भूख नहीं लगती। किसी को 12 घण्टे तक भूख नहीं लगती और मीठे से अरुचि हो जाती है।

(37) यदि घाव से मवाद आता हो और सूजन हो, साफ कपड़े में शहद भिगोकर रखने से पीब को पतला करके निकाल देता है और घाव को साफ करने के बाद उसमें अंकुर उठाकर जल्द भरने में सहायता देता है।

(38) यदि शहद की मक्खी डंक मार दे तो गाय का घी और शहद बराबर मात्रा में मिलाकर डंक पर लगाना चाहिए। या मधु और सेंधा नमक लगाना चाहिए।

(39) खरबूजा, जायफल, चिरौंजी, गाय का दूध, बकरी का दूध, हरड़, शतावर, तरबूजा, तिल, कनेर, आँवला, शहतूत यदि इनमें से किसी के खाने से कुछ नुकसान मालूम हो तो कई दिनों तक उचित मात्रा में शहद का इस्तेमाल करने से विकार की शान्ति हो सकती है।

(40) शहद और बंसलोचन का चूर्ण चाटने से बालकों की खाँसी को आराम होता है। बंसलोचल का चूर्ण एक बार एक रत्ती लेना चाहिए।

(41) शहद, घी और चूना बराबर-बराबर लेकर एक में फेंट कर बिच्छू के डंक-स्थान पर लगाने से आराम हो जाता है।

(42) शहद को आँख में आँजने से रतौंधी दूर होती है।

(43) शहद में केशर घिस कर आँखों में आँजने से आँख की जलन मिटती है।


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