महाप्रभु ईसा मसीह के उपदेश

November 1951

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

(पवित्र बाइबिल से पैदा)

- यदि तुम न फिरो और बालकों के समान न बना तो स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करने पाओगे। जो कोई अपने आपको इस बालक के समान छोटा करेगा वह स्वर्ग के राज में बड़ा होगा। -मत्ती 18

तू मुझे उत्तम क्यों कहता है? कोई उत्तम नहीं, केवल एक अर्थात् परमेश्वर ही उत्तम है।

- मरकुल 10

- जो कोई तुम में बड़ा होना चाहे वह तुम्हारा सेवक बने और जो कोई तुम में प्रधान होना चाहे, वह तुम्हारा दास बने, और जैसे कि मनुष्य का पुत्र इसीलिए नहीं आया कि उसकी सेवा टहल की जाए पर इसलिए आया कि आप सेवा टहल करें और बहुतों को छुड़ाने के लिए अपने प्राण दें।

-मत्ती 20

- मैं तुमसे सच कहता हूँ कि तुमने जो इन छोटे से छोटे में से एक के लिए न किया, वह मेरे लिए भी न किया।

-मत्ती 25

--परमेश्वर ने कहा था कि अपने पिता और अपनी माता का आदर करना।

-मत्ती 15

--तुम सुन चुके हो कि कहा गया था कि अपने पड़ोसी से प्रेम रखना और बैरी से बैर, पर मैं तुम से कहता हूँ कि अपने बैरियों से प्रेम रखना और अपने सताने वालों के लिए प्रार्थना करना। इससे तुम अपने स्वर्गीय पिता के सन्तान ठहरोगे।

-मत्ती 5

- पवित्र वस्तु कुत्तों को न दो और न अपने मोती सुअरों के आगे डालों। ऐसा न हो कि वे उन्हें पाँव तले रौंदे और फिर तुमको फाड़े।

-मत्ती


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here: