-भारत आत्म बल से सब कुछ जीत सकता है, आत्मा की शक्ति के आगे शरीर की शक्ति तृणवत् है।
-जिसका ईश्वर के सिवा और कोई अवलम्बन नहीं, वह जानता ही नहीं कि संसार में पराभव भी कोई चीज है।
-यदि संसार को आत्मा के अस्तित्व का विश्वास हो तो इस बात का सदा ध्यान रहना चाहिए कि शारीरिक बल की अपेक्षा आत्मिक बल कहीं श्रेष्ठ है। यह प्रेम का वह पवित्र सिद्धान्त है जिससे पर्वत हिल जाते हैं।