विषयों में आसक्त मन बंधन को हेतु है और विषयों से रहित मुक्ति का। मनुष्यों के बंधन और मोक्ष का कारण मन ही है। -श्री चाणक्य।
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मनुष्य अपने अच्छे या बुरे विचारों के कारण अच्छी या बुरी आदतों में रहते हैं। यदि वे चाहें तो इस संसार को नरक बनावें और यदि चाहें तो इसी को स्वर्ग बनावें। विचार के जिस रंग के चश्मे में वे संसार को देखेंगे, संसार उनको उसी रंग का दिखाई पड़ेगा। -जेस्म एलेन।
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मनुष्य बीस वर्ष के अनुभव से जो सीखता है, पुस्तकें उससे भी अधिक एक वर्ष में सिखा देती हैं।-महात्मा गाँधी।
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अचेत आदमी के लिए संसार भोग-विलास का स्थल है, परंतु विचारवान के लिए युद्ध क्षेत्र है। जहाँ जीवन पर्यन्त मन और इन्द्रियों से संग्राम करना पड़ता है। -सहजोबाई