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April 1950

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परमात्मा व्याख्यान से नहीं मिलता, न बुद्धि से और न ज्यादा पढ़ने सुनने से । बलहीन भी उसे नहीं पा सकते, आलसी भी नहीं। तप और संन्यास के बाहरी चिन्ह ही धारण करने वाले पुरुष भी उसे नहीं पा सकते। त्याग आदि उपायों द्वारा जो लगातार साधना करते रहते हैं। परमात्मा उन्हीं को मिलता है।

-मुण्डकोपनिषद्

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परमात्मा सत्य, तप, उचित ज्ञान और अखण्ड ब्रह्मचर्य की साधना से मिलता है। यह परमात्मा हमारे ही अन्दर है, जो संयमी है और जिनके दोष दूर हो गये हैं। वे ही उसका दर्शन कर सकते हैं।

-मुण्डकोपनिषद्


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