गायत्री के चौबीस अक्षर।

April 1950

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

गायत्री मन्त्र के 24 अक्षरों के साथ अनेक कारण जुड़े हैं। इसके साथ कई चौबीस रहस्यों का सम्मिलन है। नीचे कुछ ऐसे ही चौबीस अक्षरों के हेतु बताये जाते हैं।

(1) संसार की समस्त विद्याओं के भण्डार 24 महाग्रन्थ हैं। 4 वेद, 4 उपवेद, 4 ब्राह्मण 6 दर्शन और 6 वेदाँग इस प्रकार चौबीस हुए। तत्वज्ञों का ऐसा भी मत है कि गायत्री के एक-2 अक्षर से यह एक ग्रन्थ बना है। गायत्री के गर्भ में इन 24 ग्रंथों का मर्म छिपा हुआ है। गायत्री का मर्म इन 24 ग्रंथों में वर्णित है जो गायत्री का विस्तृत रहस्य जानना चाहें वे इन 24 महाग्रंथों को पढ़कर उसका मर्म समझ सकते हैं।

(2) हृदय, जीव का और ब्रह्मरंध्र, ईश्वर का स्थान है। हृदय से ब्रह्मरंध्र 24 अंगुल दूर है। एक अक्षर से एक एक अंगुल की दूरी को पार करके जीव गायत्री द्वारा ब्रह्म में लीन हो सकता है ऐसा योगी लोग कहते हैं। गायत्री के 24 अक्षर यह संकेत करते हैं कि ईश्वर जीव से, हृदय मस्तिष्क से, 24 अंगुल दूर है। हृदय में ईश्वर रहता है और मस्तिष्क में मन । अपने मन को ईश्वर के अर्पण कर दो कल्याण प्राप्ति हो जायगी।

(3) गायत्री के तीन विराम होते हैं शरीर के भी तीन भाग है। प्रत्येक भाग के अंतर्गत आठ अंग होते है इस प्रकार शरीर रूपी गायत्री के 24 अक्षर हो जाते है (अ) शिर, नेत्र, प्राण = अक्षर (ब) मुख, हाथ, पैर, नाक= अक्षर (स) कंठ, त्वचा, गुदा, शिश्न=अक्षर । यह सब मिलकर 24 हुए। गायत्री के दो दो अक्षरों से इन बारह प्रमुख अंगों की रचना हुई है। यह स्वभावता पवित्र है। इन्हें पवित्र ही रखने का प्रयत्न करना चाहिए।

(4) शरीर की सुषुम्ना नाड़ी में 2 कशेरुकाएं हैं (ग्रीवा में 7 पीठ में 12 कमर में 5 = 24) ये कशेरुकाएं प्राणों का, मातृ.. का ग्रन्थियों का और चक्रों का पोषण करने वाले हैं। यह पोषण गायत्री कहा जाता है और 24 कशेरुकाओं को 24 अक्षर कहते हैं।

(5) शरीर में प्राण सूत्र 24 हैं। गायत्री में 24 अक्षर है। गायत्री का एक एक सूक्ष्म शरीर के लिए उतना ही महत्वपूर्ण जितना कि स्थूल शरीर के लिए ये 24 प्राण सूत्र हैं।

(6) शरीर में 5 ज्ञानेन्द्रियाँ, 5 कर्मेन्द्रियाँ, 5 प्राणतत्व और 4 अन्तःकरण हैं। इन 24 के द्वारा ही शरीर जीवित रहता है। हमारे आध्यात्मिक शरीर में गायत्री की 24 शक्तियाँ इसी प्रकार ओत प्रोत है।

(7) गायत्री साधना से अष्ट सिद्धि, नवनिद्धि और सात शुभ गतियों की प्राप्ति होती है। यह 24 महान लाभ गायत्री के अंतर्गत हैं।

(8) इस मन्त्र में 24 ऋषियों और 24 देवताओं की शक्तियाँ सन्निहित है (देखिए- गायत्री योग)

(9) साँध्या दर्शन में वर्णित 24 तत्वों से सृष्टि का क्रम चलता है। उन 24 का प्रतिनिधित्व गायत्री के 24 अक्षर करते हैं।

(10) शरीर में प्रधानतः 24 अंग है। उसके प्रत्येक तृतीयाँश में भी 24-24 टुकड़े हैं। शरीर के तीन भाग हैं। सिर, धड़ और पैर । इन तीनों भागों में से प्रत्येक में 24-24 अवयव हैं। इसी प्रकार सूक्ष्म शरीर में 24 तत्व हैं इन तीनों शरीर के अवयवों की सृष्टि 24 अक्षर वाली गायत्री से होती है। ब्रह्म पुरुष के शरीर के 24 भाग गायत्री के अक्षर है।

इस प्रकार के और भी अनेकों कारण है जो गायत्री के 24 अक्षरों के हेतु हैं। प्रत्येक अक्षर के पीछे बड़े बड़े महान् तत्व छिपे हुए हैं।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here: