अमृत-कण
दान पर अपना गुजारा करने को अधिकार उसी व्यक्ति का है जो तन मन से समाज और देश की सेवा करता है।
-उड़िया बाबा
जिसका देह और मन शुद्ध न हो उसका मन्दिर में जाकर भगवान की पूजा करना व्यर्थ है। जिनके देह और मन दोनों पवित्र हैं भगवान उन्हीं की प्रार्थना सुनते हैं-
- स्वामी विवेकानन्द
जो जाति अपना गौरव और आत्माभिमान छोड़ चुकी वह साँसारिक वैभव को फिर नहीं पा सकती।
-लाला हरदयाल
दरिद्रता ही संसार में सब बुराइयों की जड़ है। इसके कारण ही मनुष्य के उच्च भावों का विनाश होता है।
-लाला हरदयाल,
जो सुखी रह कर संसार को सुखी करना चाहते हैं, वे असफल होते हैं। सफलता पाने के लिए तो अपने सुख को छोड़ना पड़ता है।
-लाला हरदयाल,
शारीरिक क्षीणता कमजोर दिमाग का चिह्न है।
-लाला हरदयाल,
ज्ञान और चरित्र पूँजी सारे सुखों की पथप्रदर्शक है। बुद्धि और आचरण का जितना ही सदुपयोग होगा मनुष्य दरिद्रता ,मूर्खता और रोग से उतने ही मुक्त होंगे।
-लाला हरदयाल,
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