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June 1947

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अध भरे घड़े छलकते हैं, पर पूरे भरे हुए घड़े शान्त रहते हैं। इसी प्रकार छिछोरे बहुत बकवास करते हैं पर गंभीर पुरुष सार गर्भित बोलते हैं।

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कृपण का धन उस ढके हुए तालाब के समान है जो किसी के काम नहीं आता और निरर्थक पड़ा पड़ा सूख जाता है।

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घर त्यागने और वेश धारण करने से कोई साधु नहीं होता। साधु वह है जिसके विचार और व्यवहार साधुता पूर्ण हैं।


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