भोजन के छः रसों में मधुर रस अग्रणी है। बच्चे से लेकर बूढ़े तक सभी मीठे को पसन्द करते हैं। मधुरता से मनुष्य तो क्या देवता भी प्रसन्न होते हैं। हवन यज्ञों में मीठे का भाग अवश्य होता है। ब्रह्म-भोज में मीठे की प्रधानता रहती है।
संसार में सब से अधिक मीठी वस्तु ‘मीठी बोली है। मधुर भाषण जैसी मिठास भला और कहाँ मिल सकती है। तुलसीदास जी कहते है- ‘वशीकरण एक मंत्र है- ‘तजदे वचन कठोर’ रहीम कहते हैं- ‘कागा काको धन हरे कोयल काको देय। मीठे वचन सुनाय कर जग वश में कर लेय।’ हिरन मधुर शब्द सुनकर भागना भूल जाते हैं, बीन सुनने के लिए साँप बिल से बाहर निकल आते हैं। एक विद्वान का कथन है कि- प्रिय भाषण में वशीकरण की शक्ति है। इससे पराये अपने हो जाते हैं। मधुर भाषण एक देवी वरदान है, मोहनास्त्रों में इसे शिरोमणि कह सकते हैं।
सत्य भाषण, हितकर भाषण, प्रिय भाषण, यह वाणी की सिद्धियाँ हैं। यह आत्म संयम, स्वार्थ त्याग और प्रेम भावना से आती है। जिसके मन, वचन और कर्म में दूसरों के प्रति मधुर भाव है, उसे वशीकरण विद्या का पूर्ण ज्ञाता ही समझिए जड़ चेतन सभी उसके वश में है, मुट्ठी में है।
किसी से कडुए शब्द मत बोलिए। क्रोध में भी किसी को अपशब्द मत कहिए। छोटों से भी ‘तू जैसा कष्ट कटु संबोधन मत कीजिए। मधुर बोलिए, विनय पूर्वक बोलिए, लाभदायक बोलिए, सद्भाव के साथ बोलिए फिर देखिए कि सब लोग मंत्र मुग्ध की तरह कैसे आप के वश में हो जाते हैं।’