(श्री. रमेश वर्मा विकल, स्भगा)
भविष्य में क्या होगा? यह जानने के लिए हम में से हर एक को उत्सुकता होती है। व्यक्तिगत और सामूहिक भविष्य को जानने की प्रबल आकांक्षा मनुष्य को सदा बनी रहती है। इस वृत्ति का अनुचित लाभ उठाने के लिए फलित वर्णन करने वाले ज्योतिषियों और भविष्य वक्ताओं का एक अच्छा खासा गिरोह बन गया है और वह काफी सम्पत्ति इसी बहाने कमा लेता है। इस पर भी भविष्य के बारे में कोई निश्चित जानकारी कराने वाला सच्चा माध्यम अभी तक प्रकट नहीं हुआ है और आगे होगा ऐसी आशा भी नहीं की जा सकती ।
कारण यह है कि मनुष्य अपने भाग्य का स्वयं निर्माता हैं। वह अपने भविष्य का निर्माण करने में खुद मुख्तार है। आज के कार्यों के ऊपर कल की परिस्थितियों का उत्पन्न होना निर्भर है। यदि आज हम जागरुक हैं, सजग हैं, प्रयत्नशील हैं तो निश्चय ही भविष्य आशा जनक है। यदि आज आलस, अकर्मण्यता और अयोग्यता में डूबे हुए है तो यह सुनिश्चित है कि भविष्य आज की अपेक्षा भी कहीं बुरा और दुखदायी होगा।
जो जातियाँ संगठित है और आगे बढ़ती है वे संसार में अपना यथोचित गौरव प्राप्त करती है और जो फूट, आलस्य एवं दुर्गुणों को छाती से चिपकाए बैठी रहती है वे दूसरों के प्रभुत्व और शोषण का शिकार बनी रहती है। लोग पूछते है कि हमारा भविष्य कैसा है? वर्तमान महासंक्रान्ति काल के पश्चात हम लोगों की कैसी दशा होगी? मैं कहता हूँ-कि आप आज जो कर रहे है उसे देखिए और समझ लीजिए कि जैसे आपके आज के विचार और कार्य है, भविष्य का निर्माण उसी के आधार पर होगा। यदि आज आप निःचेष्ट बड़े है तो कल के लिए कोई सुनहरी आशा करने का आपको कोई हक नहीं है।