(भजन संहित प्रकरण में ईश्वर प्रार्थना)
हे प्रभु! तू अपने वचन के अनुसार मुझे सँभाल, मुझ को झूठ के मार्ग से दूर कर और करुणा करके अपनी व्यवस्था मुझे दे मैंने सच्चाई का मार्ग चुन लिया है। तेरे नियमों की ओर मैं चित्त लगाये रहता हूँ मैं तेरी चेतावनियों में लवलीन हूँ।
119। 28, 31।
मुझे मनुष्यों के अंधेर से छुड़ा लें। तब मैं तेरे उपदेशों को मानूँगा। अपने दास पर अपने मुख का प्रकाश चमका और अपनी विधियाँ मुझे सिखा। मेरी आंखों से जल की धारा बहती रहती है कि लोग तेरी व्यवस्था को नहीं मानते।
119।134, 36।
उत्तम हो कि मेरा चाल चलन तेरी आज्ञाओं के मानने के लिए दृढ़ हो जाए। जब मैं तेरी सब आज्ञाओं की ओर से चित्त लगाये रहूँगा, तब मेरी आशा न टूटेगी। जब मैं तेरे धर्ममय नियमों को सीखूँगा, तब तेरा धन्यवाद सीधे मन से करूंगा।
119।5, 7।
मैं सारे मन से तेरी खोज में लगा हूँ मुझे अपनी आज्ञाओं की बाट से भटकने न दे। मैंने तेरे वचन को अपने हृदय में रख छोड़ा है कि तेरे विरुद्ध पाप न करूं।
119। 9,11।
यदि मैंने कंगालों की इच्छा पूरी न की हो या मेरे कारण विधवा की आँख कभी रह गई हो। या मैंने अपना टुकड़ा अकेला खाया हो। यदि मैंने किसी को वस्त्र बिना मरते हुए या किसी दरिद्र को बिना ओढ़े देखा हो और उसको अपनी भेड़ों की ऊन के कपड़े न दिये हो..............तो मेरी बाँह बखौड़े से उखड़कर गिर पड़े और मेरी भुजा की हड्डी टूट जाएं।
31।16, 22।