मातायें बच्चों को नालियों के सहारे बैठाकर टट्टी करा देती हैं। वे अनुभव करती हैं कि इस तरह वे टट्टी उठाकर फेंकने की परेशानी से बच जाती हैं पर उन्हें यह भी मालूम होना चाहिए कि यह गन्दगी उन्हीं के बच्चों के लिए हानिकारक होती है। कोमल शरीर के बच्चों पर ही रोग के कीटाणुओं का जल्दी असर होता है। थोड़ा सावधानी के साथ बच्चों को भी पाखानों में टट्टी करा ली जाया करे या बाहर कराकर इसे किसी ऐसे स्थान पर डाल दिया करें जहाँ से मेहतर उसे साफ कर ले जाया करें, तो इसमें कोई बड़ी परेशानी नहीं होती।